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दिल्ली, 19 दिसंबर। भारत से विदेश बसने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले पांच सालों में करीब 9 लाख लोगों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है। विदेश मंत्रालय ने संसद में यह चौंकाने वाला डेटा पेश किया है। साल 2011 से अब तक 20 लाख से ज्यादा लोग विदेशी बन चुके हैं। इसमें बड़ी संख्या हाई प्रोफाइल प्रोफेशनल्स, अमीर लोगों और छात्रों की है। विपक्ष इसे ‘ब्रेन ड्रेन’ कह रहा है, जबकि सरकार इसे निजी फैसला मानती है।
लोग बेहतर करियर और लाइफस्टाइल के लिए देश छोड़ रहे हैं। भारत में दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship) की सुविधा नहीं है। दूसरे देश का पासपोर्ट मिलते ही भारतीय नागरिकता अपने आप खत्म हो जाती है। विदेश में बसे लोग वहां वोटिंग और संपत्ति के पूर्ण अधिकार चाहते हैं। ओसीआई (OCI) कार्ड उन्हें सीमित अधिकार ही देता है। इसलिए वे विदेशी नागरिक बनना चुनते हैं।
कोविड के बाद यह ट्रेंड और तेज हुआ है। साल 2024 में ही 2.06 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता त्यागी। अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भारतीयों को लुभा रहे हैं। वहां टैक्स में छूट और मोटी सैलरी मिलती है। अमीर भारतीय भी सिंगापुर और दुबई जैसे देशों में बस रहे हैं। हेनले की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में 4300 करोड़पतियों के देश छोड़ने का अनुमान है।
लोग साफ हवा, अच्छा पानी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं चाहते हैं। कई लोग भारत के प्रदूषण और ट्रैफिक से परेशान हैं। इसके अलावा ग्लोबल मोबिलिटी भी एक बड़ा कारण है। विदेशी पासपोर्ट से 180 से ज्यादा देशों में बिना वीजा यात्रा की जा सकती है। भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग कम होने से यात्रा में दिक्कत आती है। लोग अपने बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए भी भारतीय नागरिकता छोड़ रहे हैं।
