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शिमला, 19 दिसंबर। हिमाचल की राजनीति में लंबे समय से चर्चा में रहे भ्रष्टाचार और जालसाजी के मामले में कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विधायक के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका खुद याचिकाकर्ता की ओर से वापस लिए जाने के बाद खारिज की गई, जिससे साफ हो गया है कि अब यह मामला निचली अदालत में आगे बढ़ेगा।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विरेंदर सिंह की अदालत में हुई। अदालत के समक्ष यह स्पष्ट हुआ कि याचिकाकर्ता संजय अवस्थी ने स्वयं याचिका को वापस लेने का आग्रह किया, जिसके बाद कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
इससे पहले राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में साफ कर दिया था कि विधायक संजय अवस्थी के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार और जालसाजी के इस आपराधिक मामले को वापस लेने का उसका कोई इरादा नहीं है। सरकार की ओर से यह भी बताया गया था कि विशेष न्यायाधीश सोलन के समक्ष लंबित इस मामले में कानून के अनुसार कार्रवाई जारी रहेगी।
संजय अवस्थी ने विशेष न्यायाधीश सोलन द्वारा उनके खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 26 जुलाई 2024 को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि राज्य सरकार उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। इस पर सरकार ने तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था।
इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष आवेदन दायर कर विधायक के खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लेने की अनुमति मांगी थी, लेकिन बाद में सरकार ने अपना यह आवेदन भी वापस ले लिया। इससे यह साफ हो गया कि सरकार अब इस मामले में पीछे हटने के मूड में नहीं है।
मामले के अनुसार, 21 अप्रैल 2022 को विशेष न्यायाधीश सोलन ने अपने आदेश में कहा था कि संजय अवस्थी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468 और 120बी के तहत प्रथम दृष्टया अपराध बनता है। कोर्ट ने यह भी माना कि उस समय संजय अवस्थी नगर पालिका सोलन के पार्षद थे, इसलिए लोक सेवक होने के नाते उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(d)(ii) और धारा 13(2) के तहत भी मामला बनता है।
संजय अवस्थी पर आरोप है कि उन्होंने पार्षद रहते हुए हरियाणा निवासी क्रिकेट खिलाड़ी विक्रमजीत सिंह मलिक को हिमाचली होने का झूठा प्रमाण पत्र जारी किया। इस प्रमाण पत्र के आधार पर मलिक तहसीलदार सोलन से बोनाफाइड हिमाचली प्रमाण पत्र हासिल करने में सफल हुआ, जबकि वह गांव सींख, तहसील इशराना, जिला पानीपत, हरियाणा का स्थायी निवासी था और हिमाचल के लिए खेलने का पात्र नहीं था।
कोर्ट ने प्रथम दृष्टया यह भी माना है कि 14 मई 2001 को जारी किया गया प्रमाण पत्र गलत था, जिसका उपयोग विक्रमजीत मलिक ने हिमाचली प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए किया। फिलहाल यह पूरा मामला विशेष न्यायाधीश सोलन की अदालत में लंबित है और आगे की सुनवाई जारी रहेगी।
