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शिमला, 03 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एचआरटीसी कंडक्टरों को बड़ा राहत भरा फैसला सुनाते हुए परिवहन निगम को निर्देश दिया है कि वह कंडक्टरों को 1 अक्टूबर 2012 से 1 जनवरी 2016 तक की अवधि के लिए क्लर्कों के बराबर का वेतनमान प्रदान करे। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की अदालत ने द स्टेट एचआरटीसी कंडक्टर यूनियन की याचिका स्वीकारते हुए स्पष्ट किया कि इस अवधि में कंडक्टरों के पे-स्केल में वाकई गड़बड़ी हुई थी, जिसे सुधारा जाना आवश्यक है।
कोर्ट ने कहा कि कंडक्टर और क्लर्क का पे-स्केल लंबे समय तक समान रहा है, इसलिए 2012 से 2016 तक भी कंडक्टरों को वही लाभ मिलना चाहिए था जो क्लर्कों को दिया गया। अदालत ने यह भी माना कि कॉर्पोरेशन में कंडक्टर पद का पे-स्केल बिना वजह बदला नहीं गया, जबकि 24.10.2013 के कार्यालय आदेश के तहत क्लर्कों को नया पे-स्केल मिल चुका था।
याचिका के अनुसार, एचआरटीसी कंडक्टर यूनियन ने अपने सदस्यों के हित में यह मामला उठाया था। एचआरटीसी के गठन (1974) और 1976 में बने भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के बाद से दोनों पदों के पे-स्केल समान रहे थे। लेकिन राज्य सरकार के 27 सितंबर 2012 के नोटिफिकेशन के बाद निगम द्वारा जारी आदेश में कंडक्टर का जिक्र नहीं था, जिससे विसंगति उत्पन्न हुई।
आठ हफ़्तों में भुगतान का आदेश
हाईकोर्ट ने परिवहन निगम को निर्देश दिया है कि कंडक्टरों को इस फैसले से मिलने वाले सभी वित्तीय लाभ आठ सप्ताह के भीतर अदा किए जाएं।
2016 के बाद फिर समान पे-स्केल
बाद में 1 जनवरी 2016 से लागू हुए संशोधित पे-स्केल (2022 के आदेशों के तहत) में निगम ने कंडक्टर पद को फिर से क्लर्क के समान पे-स्केल में शामिल कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों पदों का समान वेतनमान पहले की तरह ही मान्य है।
