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शिमला, 03 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बुधवार को माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया। अपनी मांगों को लेकर पिछले 770 दिनों से धरने पर बैठे दृष्टिबाधितों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक हुई। सचिवालय के बाहर प्रदर्शन के दौरान एसडीएम (SDM) ओशीन शर्मा और एक पुलिस अधिकारी के बोल बिगड़ गए। पुलिस अधिकारी ने एक दिव्यांग को धमकी देते हुए उसकी धड़कन रोकने तक की बात कह दी।
छोटा शिमला में चक्का जाम की कोशिश के दौरान एसडीएम ओशीन शर्मा मौके पर पहुंचीं। दृष्टिबाधितों से बातचीत के दौरान वह गुस्से में नजर आईं। जब ग्रांट की बात उठी, तो उन्होंने कहा कि वह ‘बुद्धू’ नहीं हैं और जानती हैं कि दराट क्या होती है। एसडीएम ने प्रदर्शनकारियों को सीएम के खिलाफ नारेबाजी करने से रोका। उन्होंने कहा कि वह सीएम के खिलाफ बेकार के नारे नहीं सुनेंगी। बहस बढ़ने पर एसडीएम मौके से चली गईं। इसके जवाब में दृष्टिबाधितों ने ‘एसडीएम मैडम हो बर्बाद’ के नारे लगाए।
प्रदर्शन के दौरान पुलिस का रवैया भी बेहद सख्त रहा। सुरक्षा में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने दिव्यांग प्रदर्शनकारी को सरेआम धमकाया। उसने कहा कि अगर आवाज ऊंची की तो उसकी धड़कनें रुक जाएंगी। इस धमकी के बाद दृष्टिबाधितों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने सुक्खू सरकार को कोसते हुए ‘पेंशन चोर गद्दी छोड़’ के नारे लगाए।
यह हिमाचल प्रदेश के इतिहास का दूसरा सबसे लंबा धरना बन गया है। दृष्टिहीन संघ के बैनर तले ये लोग 25 अक्टूबर 2023 से न्याय मांग रहे हैं। इनकी मुख्य मांग बैकलॉग के तहत खाली पड़े 1200 पदों पर भर्ती है। इसके अलावा वे पेंशन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। अभी इन्हें मात्र 1700 रुपये पेंशन मिलती है, जो तीन-तीन महीने की देरी से आती है।
राज्य दृष्टिहीन संघ के सचिव राजेश ठाकुर ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर के बाद आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। दृष्टिबाधितों ने बुधवार से क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। यदि सरकार ने जल्द सकारात्मक पहल नहीं की, तो इसे आमरण अनशन में बदल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूरे हिमाचल प्रदेश से दिव्यांग शिमला पहुंचकर सरकार को जगाएंगे।
