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हिमाचल में सड़कों पर उतरे पेंशनर्स, सरकार के खिलाफ शिमला में जोरदार प्रदर्शन

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न्यूज अपडेट्स 
शिमला, 15 अक्टूबर। ढलती उम्र में जहां लोगों को आराम और सम्मान की उम्मीद होती है, वहीं हिमाचल प्रदेश में पेंशनर इन दिनों अपने हक के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। लंबित वित्तीय देनदारियों, डीए (महंगाई भत्ता) और मेडिकल बिलों के भुगतान न होने से नाराज प्रदेश के पेंशनरों ने मंगलवार को राज्य सरकार के खिलाफ शिमला सहित सभी जिला मुख्यालयों में जोरदार प्रदर्शन किया। लाठियों के सहारे सड़क पर उतरे इन बुजुर्गों के गुस्से ने सरकार के प्रति गहरी नाराजगी को उजागर कर दिया।

हिमाचल प्रदेश ज्वाइंट पेंशनर फ्रंट के बैनर तले सैकड़ों पेंशनर राजधानी शिमला में एकजुट हुए। धरना-प्रदर्शन के दौरान उन्होंने सरकार से लंबित मांगों को तत्काल पूरा करने की मांग की। पेंशनरों का कहना है कि वर्ष 2016 से एरियर का भुगतान अटका हुआ है, 16 प्रतिशत डीए अभी तक जारी नहीं किया गया है और करोड़ों रुपये के मेडिकल बिल अब तक क्लियर नहीं हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि बुजुर्गावस्था में आर्थिक सुरक्षा उनका संवैधानिक और नैतिक अधिकार है, लेकिन सरकार की बेरुखी ने उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है।

ज्वाइंट पेंशनर फ्रंट हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष आत्मा राम शर्मा ने कहा कि पेंशनरों को समय पर पेंशन तक नहीं मिल रही है। 2016 से एरियर लंबित है। मेडिकल बिलों का भुगतान रुका हुआ है। महंगाई भत्ता 16 फीसदी देय है, लेकिन जारी नहीं किया गया। सरकार हमारी मांगों को नजरअंदाज कर रही है। अब सब्र का बांध टूट चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही संयुक्त समन्वय समिति का गठन कर समाधान नहीं निकाला, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आने वाले दिनों में प्रदेश भर में रैलियां और विरोध प्रदर्शन तेज किए जाएंगे।

गौरतलब है कि विरोध प्रदर्शन सिर्फ राजधानी शिमला तक सीमित नहीं रहा। प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में पेंशनरों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। मुख्यमंत्री के गृह जिले में भी वरिष्ठ नागरिकों ने डटकर आवाज उठाई और कहा कि सरकार को बुजुर्गों के हक के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा ही बुजुर्गों का सहारा होती है, लेकिन एरियर और डीए भुगतान में देरी के कारण कई वरिष्ठ नागरिक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। कई प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्हें इलाज और दवाइयों के लिए भी आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है।

बुजुर्ग पेंशनरों का यह आंदोलन प्रदेश सरकार के लिए चुनौती बनता जा रहा है। आर्थिक संकट से जूझ रहे राज्य में वित्तीय देनदारियों का बोझ पहले से ही भारी है, ऐसे में पेंशनरों की मांगों पर सरकार को जल्द कोई ठोस निर्णय लेना पड़ सकता है। फिलहाल पेंशनरों ने साफ चेतावनी दी है  कि अब और इंतजार नहीं, अगर सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानीं तो हम बड़े आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे।

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