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शिमला, 26 सितंबर। प्रदेश में नशे के खिलाफ जारी जंग को और मजबूती देने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार अब एंटी-चिट्टा वालंटियर योजना (ACVS) शुरू करने जा रही है। पुलिस विभाग ने इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज दिया है। योजना के तहत एक हजार से अधिक वालंटियर तैनात किए जाएंगे, जो पुलिस, जनता और अन्य हितधारकों के बीच सेतु का काम करेंगे।
ये वालंटियर युवाओं और समाज को चिट्टा सहित अन्य नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों से अवगत कराएंगे, संदिग्ध गतिविधियों और तस्करी से जुड़े हॉटस्पॉट की गुप्त जानकारी पुलिस तक पहुंचाएंगे। साथ ही स्कूलों, कॉलेजों और समुदाय स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों, रैलियों, नुक्कड़ नाटकों और सोशल मीडिया अभियानों में सक्रिय भागीदारी निभाएंगे। प्रभावित व्यक्तियों को पुनर्वास केंद्रों से भी जोड़ा जाएगा।
मानदेय और गुप्त पहचान
पंजीकृत स्वयंसेवकों को सेवाओं के लिए मानदेय दिया जाएगा। उनकी पहचान पूरी तरह गुप्त रखी जाएगी और संवेदनशील मामलों में उन्हें सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी। सरकार का मानना है कि इस योजना से खुफिया तंत्र मजबूत होगा, युवाओं को नशे से दूर रखने में मदद मिलेगी और समाज में जागरूकता बढ़ेगी।
दो दिवसीय प्रशिक्षण और पंचायत स्तर पर मैपिंग
वालंटियर को दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत एनडीपीएस एक्ट, पुलिस प्रक्रियाओं और सामुदायिक सहभागिता की जानकारी दी जाएगी। वहीं सरकार पंचायत स्तर पर नशे के खिलाफ मैपिंग करवा रही है। इसके अलावा नशा तस्करी पर रोक लगाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) का गठन भी किया गया है।
ड्रग फ्री एप और हेल्पलाइन
जनता को नशा माफिया की सूचना देने के लिए ड्रग फ्री हिमाचल एप और टोल-फ्री हेल्पलाइन 1908 की सुविधा उपलब्ध है, जहां कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान बताए बिना सूचना साझा कर सकता है।
"नशे के खिलाफ जंग जारी" – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि पदभार संभालते ही उनकी सरकार ने नशे के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। अब तक नशा माफिया की 42 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की गई है। पुलिस भर्ती में चिट्टे की जांच को अनिवार्य बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले ढाई साल से सरकार लगातार युवाओं को नशे के चंगुल से बचाने के प्रयास कर रही है और एंटी-चिट्टा वालंटियर योजना इस दिशा में एक अहम कदम साबित होगी।