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कुल्लू, 26 सितंबर। कुल्लू जिले में पंचायत सचिव द्वारा जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद मामला हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय पहुंच गया है। पीड़िता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि एसडीएम ने तीन साल तक शादी का झूठा वादा करके उनका यौन शोषण किया। इसके अलावा 24 सितंबर 2024 को अपने सरकारी आवास पर बुलाकर उनकी बेरहमी से पिटाई की गई। इस दौरान दो अन्य लोग भी मौजूद थे। पिटाई के दौरान उनका मोबाइल फोन छीन लिया गया और पूरी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई।
पीड़िता का आरोप है कि मारपीट के बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया। इसके विपरीत, उन्हें दर्दनाशक दवाओं के असर में एक समझौते पर जबरन हस्ताक्षर करवाए गए। उनका कहना है कि यह समझौता उनकी मर्जी के खिलाफ था और वह दवाओं के प्रभाव में इसे ठीक से समझ भी नहीं पाईं।
याचिका में कुल्लू पुलिस, महिला थाना और जिला अधीक्षक की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। आरोप है कि बार-बार लिखित शिकायत देने के बावजूद किसी ने भी आरोपी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू नहीं की। पीड़िता ने इसे अपने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की है।
याचिका में अदालत से पीड़िता और उनके परिवार को तत्काल सुरक्षा देने, आरोपी एसडीएम को पद से हटाने, मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने और उनका मोबाइल फोन बरामद करने की मांग की गई है।
पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि आरोपी अधिकारी खुद को “सर्वशक्तिमान” बताते हुए कहते हैं कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। यह मामला सत्ता के दुरुपयोग और संस्थागत विफलता का गंभीर उदाहरण माना जा रहा है।
अब यह मामला हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष है। अदालत का निर्णय न केवल इस प्रकरण में न्याय सुनिश्चित करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि भविष्य में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की गई कथित ज्यादतियों पर कितनी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस पूरे प्रकरण ने राज्य में महिला सुरक्षा और पुलिस-प्रशासन की जवाबदेही को लेकर नई बहस छेड़ दी है।