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हिमाचल: अनाथ बच्चों के सपने होंगे साकार, सरकार उठाएगी पूरी जिम्मेदारी

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न्यूज अपडेट्स 
शिमला, 23 सितंबर। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को संवारने के लिए सराहनीय कदम उठाए हैं। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि अनाथ बच्चे भी समाज के अन्य बच्चों की तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें और आत्मनिर्भर बनें।

प्रदेश सरकार की पहल पर अनाथ बच्चों को अब राज्य के नामी-गिरामी शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला दिलाया जा रहा है। सोलन स्थित पाइनग्रोव पब्लिक स्कूल में चार, शिमला के तारा हॉल स्कूल में तीन और दयानन्द पब्लिक स्कूल में आठ बच्चों का दाखिला करवाया गया है। इस पहल का उद्देश्य उन्हें शिक्षा, खेलकूद और सह-पाठयक्रम गतिविधियों में समान अवसर प्रदान करना है।

सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि बेहतर शिक्षा के साथ-साथ उच्च शिक्षा और रोजगारपरक प्रशिक्षण के लिए इन बच्चों को आर्थिक सहायता भी दी जाएगी। आईटीआई, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग और फार्मेसी कॉलेज सहित सभी तकनीकी संस्थानों में उनके लिए एक-एक सीट आरक्षित की गई है।

प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की दूरदर्शी सोच के चलते ‘मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना’ शुरू की गई है। इसके तहत सभी अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ का दर्जा प्रदान किया गया है। राज्य सरकार उनकी देखभाल, सुरक्षा और शिक्षा की जिम्मेदारी 27 वर्ष की आयु तक वहन करेगी।

इन बच्चों के लिए देशभर के ऐतिहासिक स्थलों और प्रमुख नगरों के भ्रमण के लिए एक्सपोज़र विजिट भी आयोजित की जा रही है, जिसमें हवाई यात्रा और तीन सितारा होटलों में ठहरने की सुविधा सरकार उपलब्ध करवा रही है।

हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने अनाथ बच्चों के सम्मानजनक जीवन, देखभाल और शिक्षा के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए विशेष कानून बनाया है। सरकार का कहना है कि वंचित वर्ग का उत्थान उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

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