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शिमला, 23 सितंबर। हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित युग हत्याकांड मामले में मंगलवार को हिमाचल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने दोषी पाए गए दो आरोपियों चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है, जबकि तीसरे आरोपी तेजिंद्र पाल को बरी कर दिया गया है।
पिता की नाराजगी – "मिलेगा सुप्रीम कोर्ट से न्याय"
हाईकोर्ट के फैसले के बाद युग के पिता विनोद गुप्ता ने गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि 11 साल बाद भी उनके मासूम बेटे को न्याय नहीं मिल पाया है। उन्होंने साफ किया कि अब वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और दोषियों को फांसी की सजा दिलवाकर ही रहेंगे।
पड़ोसियों ने रची थी साजिश
विदित रहे कि 14 जून 2014 को शिमला के रामबाजार से 4 वर्षीय मासूम युग का अपहरण उसके ही पड़ोसियों ने किया था। फिरौती न मिलने पर दरिंदों ने मासूम को पत्थर बांधकर भराड़ी क्षेत्र के एक जलभराव टैंक में जिंदा फेंक दिया था। अगस्त 2016 में युग का कंकाल बरामद हुआ।
लोअर कोर्ट ने सुनाई थी फांसी
इस हृदयविदारक घटना की जांच राज्य CID ने की थी। 25 अक्टूबर 2016 को चार्जशीट दाखिल हुई और फरवरी 2017 से सुनवाई शुरू हुई। 6 सितंबर 2018 को सत्र न्यायाधीश ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। अदालत ने इसे "दुर्लभतम में दुर्लभ" श्रेणी का मामला माना था।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट की विशेष खंडपीठ—न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला—ने अब दोषियों की अपील पर फैसला सुनाते हुए दो को उम्रकैद और एक को बरी कर दिया।
जनआक्रोश और न्याय की पुकार
युग की हत्या ने पूरे हिमाचल को झकझोर दिया था। जगह-जगह कैंडल मार्च और विरोध प्रदर्शन हुए थे। अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद एक बार फिर यह मामला चर्चा में है और पीड़ित परिवार सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठा है।