न्यूज अपडेट्स
शिमला, 27 सितंबर। हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शुक्रवार देर शाम जल शक्ति विभाग की समीक्षा बैठक के बाद बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि सरकार गंभीरता से इस पर विचार कर रही है कि ठेकेदारों से चल रही पेयजल योजनाओं का संचालन वापस लेकर विभाग स्वयं इसे संभाले।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि यदि विभाग ठेकेदारों की तरह ही कर्मचारियों को तैनात करे तो खर्च लगभग 26 करोड़ रुपये होगा, जबकि मौजूदा समय में सरकार को इन्हीं योजनाओं पर ठेकेदारों को 98 करोड़ रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। यह मामला आगामी कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा।
आपदा से भारी नुकसान, केंद्र से सहायता अधूरी
मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि इस वर्ष की भीषण बरसात और आपदा से विभाग को करीब 4,150 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि केंद्र से अब तक केवल 800 करोड़ रुपये की सहायता मिली है। विभाग पर 424 करोड़ रुपये का मेंटेनेंस बकाया है और जल जीवन मिशन के 127 करोड़ रुपये की राशि भी केंद्र से लंबित है। इसके बावजूद इस मद में 350 करोड़ रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं।
जल योजनाएं बार-बार ठप
उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में प्रदेश की जल योजनाएं 46,917 बार क्षतिग्रस्त हुईं। वर्ष 2023 में 20,056 बार, 2024-25 में 7,000 बार और 2025-26 में अब तक 19,438 बार योजनाएं ठप हुई हैं। मंडी और धर्मपुर की कई प्रमुख योजनाएं अब भी बंद पड़ी हैं, जिनके लिए विशेष वित्तीय पैकेज की आवश्यकता है।
नियुक्तियां और नई भर्तियां
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग में 55 करूणामूलक आश्रितों की नियुक्ति फाइलें कैबिनेट को भेजी जाएंगी। अब तक 76 नियुक्तियां हो चुकी हैं। जलरक्षक नीति के तहत 1,346 कर्मचारियों को पैरा पंप ऑपरेटर बनाया गया है और सरकार इस अवधि को 12 साल से घटाकर 8 साल करना चाहती है। लगभग 4,000 मल्टीपर्पज वर्करों के लिए अलग नीति का प्रस्ताव भी कैबिनेट में रखा जाएगा। सरकार जल्द ही 111 वर्क इंस्पेक्टर और 40 से 100 जेई की नई भर्तियां भी करने जा रही है।
केंद्र से सहायता पर नाराज़गी
अग्निहोत्री ने याद दिलाया कि वर्ष 2023 की आपदा में विभाग को 1,476 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, लेकिन इसके एवज में केवल 137 करोड़ रुपये की किश्त प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1,500 करोड़ रुपये की सहायता बिना शर्त मिलती तो प्रभावित योजनाओं को तुरंत बहाल किया जा सकता था।
अन्य फैसले और भरोसे
उन्होंने बताया कि विभाग ने नए डिवीजन और सब-डिवीजन के लिए वाहन व मल्टी यूटिलिटी व्हीकल्स की मांग की है जिसे मंजूरी मिलेगी। साथ ही एचआरटीसी पेंशनरों को भी भरोसा दिलाया कि उनकी पेंशन जल्द जारी की जाएगी। इसके लिए अतिरिक्त ग्रांट मांगी गई है और 150 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की अनुमति भी मिल चुकी है। जल्द ही कर्मचारियों की लंबित देनदारियों का भुगतान किया जाएगा।