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शिमला, 29 मई। पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत मामले की जांच करने आ रही सीबीआई को इस बार हिमाचल सरकार राजकीय अतिथि गृह पीटरहॉफ या सर्किट हाउस (विली पार्क) देने के मूड में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक सरकार सीबीआई को आवश्यकतानुसार केवल रेस्ट हाउस उपलब्ध कराने की तैयारी में है, न कि हाई-प्रोफाइल स्टेट गेस्ट हाउस।
गुड़िया कांड के अनुभव से लिया सबक
2017 के बहुचर्चित गुड़िया रेप-मर्डर केस में सीबीआई को पीटरहॉफ में महीनों तक रुकवाया गया था। बाद में पर्यटन निगम ने 21.96 लाख रुपये का बिल राज्य सरकार को थमाया, जिसकी वसूली आज तक नहीं हुई। सीबीआई ने स्पष्ट कहा था कि वह स्टेट गेस्ट थी और भुगतान सरकार को ही करना था। यही वजह है कि अब सरकार इस बार अधिक सतर्कता बरत रही है।
ED की एंट्री भी हो सकती है
हाईकोर्ट में सौंपी गई प्रशासनिक रिपोर्ट में पेखुबेला प्रोजेक्ट का भी उल्लेख हुआ है, जिससे वित्तीय लेन-देन में अनियमितताओं की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी इस मामले में अपनी जांच शुरू कर सकता है। यदि ऐसा होता है तो विमल नेगी मौत प्रकरण केवल आत्महत्या या साजिश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि एक बहुस्तरीय वित्तीय घोटाले की ओर भी इशारा करेगा।
हाई-लेवल पूछताछ की तैयारी
सीबीआई टीम जल्द ही शिमला पहुंचने वाली है। जांच के दायरे में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ओंकार शर्मा, डीजीपी अतुल वर्मा, एसपी संजय गांधी और एसआईटी सदस्य शामिल होंगे। हाईकोर्ट में ओंकार शर्मा द्वारा जमा की गई रिपोर्ट में जिन अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान दर्ज हैं, उन्हें भी तलब किया जाएगा।
बुधवार को डीजीपी अतुल वर्मा पुलिस मुख्यालय पहुंचे और कुछ अहम फाइलों को समेटा। वहीं, नए डीजीपी (विजिलेंस) अशोक तिवारी ने चार्ज संभाल लिया है और 30 मई से कार्यालय में बैठने की बात कही है। पुलिस महकमे में यह तबादला भी विमल नेगी केस की गंभीरता को देखते हुए प्रशासनिक तैयारियों का हिस्सा माना जा रहा है।
सरकार ने कहा- जांच में पूर्ण सहयोग
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बयान दिया कि सरकार विमल नेगी के परिवार को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार सीबीआई को हर जरूरी सहयोग देगी और मुख्यमंत्री पहले ही अनुशासनात्मक कार्रवाई से अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं।
विक्रमादित्य ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह राजनीति का समय नहीं है। भाजपा ने बिना ठोस तथ्यों के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर राजनीतिकरण की कोशिश की है।