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कर्नाटक, 02 अगस्त: जनता दल सेक्युलर (JDS) के नेता व देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे एचडी देवेगोड़ा (Former PM HD Devegowda) के पोते प्रज्वल रेवन्ना को उम्र कैद हो गई है। बलात्कार के मामले में कोर्ट ने शनिवार को सजा सुनाई है। एक दिन पहले हासन सीट से पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को रेप केसा मामले में दोषी पाया है। कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया है, जो पीड़ित महिला को हजाने के तौर पर दिया जाएगा। इससे पहले रेवन्ना के वकील ने कोर्ट से कम से कम सजा की गुहार लगाई थी।
कैसे खुला मामला
प्रज्वल रेवन्ना का पूरा कांड साल 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान खुला। 24 अप्रैल 2024 की सुबह हासन स्टेडियम के रनिंग ट्रैक पर सैकड़ों पैन ड्राइव मिले। जिसमें पूर्व सांसद से जुड़े 3 हजार सेक्स क्लिप थे। देखते ही देखते अश्लील वीडियो कर्नाटक सहित देश भर में वायरल होने लगे। बता दें कि रेवन्ना का ताल्लुक देश के बड़े सियासी परिवार से है। जनता दल सेक्युलर नेता एचडी देवेगोड़ा देश के प्रधानमंत्री रहे। चाचा कुमारस्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। पिता राज्य में कद्दावर मंत्री रहे। रेवन्ना खुद हासन सीट से सांसद रहा।
फूट-फूटकर रोने लगा था रेवन्ना
आपको बता दें कि एक अगस्त को बेंगलोर की स्पेशल कोर्ट के जज संतोष गजानन भट ने जैसे ही प्रज्वल के दोषी होने का फैसला सुनाया, वह फूट-फूटकर रोने लगा। पीड़िता की ओर से केस लड़ने वाले वकील अशोक नायक ने कहा कि पीड़िता का बयान बहुत मजबूत था। यह केस चार साल पुराना था। इसलिए भी आरोपी दोषी साबित करना जटिल था। नायक ने कहा कि सबूत और पीड़िता के गवाह के आधार पर कोर्ट ने रेवन्ना को दोषी पाया।
सबूत के रूप में पेश की गई साड़ी
जांच और मुकदमे के दौरान पीड़िता ने साक्ष्य के रूप में एक साड़ी प्रस्तुत की, जिसे उसने सुरक्षित रखा था। बाद में फोरेंसिक जांच ने साड़ी पर शुक्राणु की उपस्थिति की पुष्टि की, जिसे अदालत में पेश किया गया। बलात्कार की पुष्टि में महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया गया।
123 साक्ष्य और 2000 पन्नों की चार्जशीट
यह मामला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2008 की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज किया गया था। इंस्पेक्टर शोभा के नेतृत्व में सीआईडी के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जांच के दौरान 123 साक्ष्य एकत्र किए और लगभग 2,000 पृष्ठों की चार्जशीट दाखिल की।
दिसंबर 2024 में दर्ज हुआ था मामला
आपको बता दें कि मुकदमा 31 दिसंबर, 2024 को शुरू हुआ। इसके बाद अगले सात महीनों में अदालत ने 23 गवाहों से पूछताछ की और वीडियो क्लिप की प्रमुख फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) रिपोर्टों के साथ-साथ अपराध स्थल से निरीक्षण रिपोर्टों की भी समीक्षा की।