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शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशानुसार सभी मुख्य संसदीय सचिवों ने गाड़ी व दफ्तर छोड़ दिए हैं। अब एक-दो दिन में सीपीएस शिमला में मिले सरकारी बंगले भी छोड़ देंगे। पदों से हटाए गए सीपीएस अब विधानसभा सचिवालय की ओर से शिमला में मकान मिलने के इंतजार में हैं। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने बीती शाम को ही सीपीएस से गाड़ी, बंगला, दफ्तर और स्टाफ जैसी सुख-सुविधाएं वापस लेने के आदेश जारी कर दिए थे। मुख्य सचिव के आदेश आने के बाद सीपीएस के स्टाफ ने ज्यादातर का सामान भी दफ्तरों से समेट लिया था। अब इन्हें बंगले भी खाली करने होंगे।
सीपीएस को सामान्य प्रशासन विभाग ने फॉर्च्यूनर गाड़ियां दे रखी थीं। इन्हें सामान्य प्रशासन विभाग को हैंडओवर कर दिया है। जो सीपीएस बीते कल शिमला में थे, उन्होंने अपनी गाड़ियां सामान्य प्रशासन विभाग को दे दी हैं, जबकि प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में सीपीएस के साथ गई गाड़ियां आज सामान्य प्रशासन विभाग को सौंप दी हैं। हालांकि सीपीएस ने गाड़ियों का इस्तेमाल बीती शाम से ही बंद कर दिया था। वहीं पूर्व सीपीएस एवं विधायक एमएल ब्राक्टा ने कहा कि वह कोर्ट के आदेशों का सम्मान करते हैं। उन्होंने गाड़ी व दफ्तर छोड़ दिया है। विधानसभा द्वारा जैसे ही मकान दिया जाता है, उसके बाद वह सीपीएस के तौर पर मिला दफ्तर भी छोड़ देंगे।
पूर्व सीपीएस मोहन लाल ब्राक्टा विधि विभाग और बागवानी, रामकुमार नगर नियोजन, उद्योग और राजस्व, आशीष बुटेल शहरी विकास विभाग के साथ शिक्षा विभाग में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के साथ अटैच थे।
वहीं, सीपीएस किशोरी लाल पशुपालन विभाग व ग्रामीण विकास और संजय अवस्थी स्वास्थ्य जनसंपर्क और लोक निर्माण विभाग की जिम्मा देख रहे थे। बेशक सीपीएस को मंत्रियों के बराबर सुख सुविधाएं मिल रही थीं लेकिन उन्हें फाइल पर साइन करने की शक्तियां नहीं थीं। वहीं हाईकोर्ट द्वारा राज्य का 2006 का सीपीएस एक्ट निरस्त करने के बाद अब इन विधायकों को प्रतिमाह 2.20 लाख की जगह 2.10 लाख रुपए मिलते रहेंगे।