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नई दिल्ली : ग्रेटर नोएडा के एक अस्पताल में डॉक्टर की लापरवाही के कारण एक 7 वर्षीय बच्चे की गलत आंख का ऑपरेशन कर दिया गया, जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इस घटना के बाद परिजनों ने सीएमओ से जांच की मांग की है और डॉक्टर का लाइसेंस रद्द करने की अपील की है। जानते है इस पूरे मामले को विस्तार से...
गलत आंख का ऑपरेशन: डॉक्टर की लापरवाही
यह घटना ग्रेटर नोएडा के थाना बीटा-2 क्षेत्र के सेक्टर गामा वन स्थित आनंद स्पेक्ट्रम अस्पताल में घटी। बच्चे के पिता नितिन ने बताया कि उनके बेटे को एक आंख में एलर्जी हो गई थी। इसके बाद डॉक्टर आनंद ने ऑपरेशन की सलाह दी थी।
अगले दिन, नितिन अपने बच्चे को अस्पताल लेकर पहुंचे और ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन सफल रहा और बच्चे की आंख से प्लास्टिक का टुकड़ा निकाल दिया गया है। डॉक्टर ने आंख पर पट्टी बांधकर बच्चे को बाहर लाकर बताया कि ऑपरेशन पूरा हो चुका है।
अस्पताल में मिली गलती: दाईं आंख पर पट्टी
घर वापस जाने के बाद, परिजनों को एहसास हुआ कि बच्चे की समस्या बाईं आंख में थी, लेकिन ऑपरेशन के बाद पट्टी दाईं आंख पर बांधी गई थी। इस पर परिवार ने तुरंत अस्पताल में जाकर डॉक्टर से स्पष्टीकरण मांगा। डॉक्टर ने इसे एक गलती माना, लेकिन स्थिति और खराब हो गई जब दूसरे अस्पताल में डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की आंख में कोई ऑपरेशन नहीं हुआ था और उसकी आंख एकदम ठीक थी।
रुपए लिए, लेकिन कोई ऑपरेशन नहीं
आरोप है कि अस्पताल ने ऑपरेशन के नाम पर 45,000 रुपये लिए थे, लेकिन बाद में पाया गया कि ऑपरेशन किया ही नहीं गया था। परिजनों ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान बच्चे के शरीर पर एनेस्थीसिया के कारण चकते भी आ गए थे। इस पूरे मामले को लेकर परिजन परेशान हैं और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
परिजनों का हंगामा: पुलिस को सूचना
नाराज परिजनों ने आनंद स्पेक्ट्रम अस्पताल में जाकर हंगामा किया और पुलिस को सूचना दी। पुलिस के मौके पर पहुंचने के बाद डॉक्टर ने अपनी गलती स्वीकार की, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन का दावा गलत था।
सीएमओ से जांच और कार्रवाई की मांग
परिजनों ने इस मामले को लेकर सीएमओ से अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण उनके बच्चे को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार से नुकसान हुआ है। यह घटना डॉक्टर की लापरवाही और अस्पताल की गलत प्रैक्टिस को दर्शाती है। परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो ऐसे मामलों में मरीजों की जान को भी खतरा हो सकता है। इस मामले में सीएमओ को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए और दोषी डॉक्टर का लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए।
यह घटना मेडिकल लापरवाही की गंभीर मिसाल पेश करती है और इस तरह के मामलों में सख्त जांच और कार्रवाई की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और लोगों को चिकित्सा सेवाओं पर विश्वास बना रहे।