इससे पहले आईआईटी रुड़की में ही इसकी सुविधा उपलब्ध हैहाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बंदला (बिलासपुर) में एमटेक और पीएचडी करवाई जाएगी। इससे हाइड्रो में पीएचडी करने के लिए प्रशिक्षुओं को आईआईटी रुड़की नहीं जाना पड़ेगा। हाइड्रो इंजीनियरिंग में एमटेक और पीएचडी करवाने वाला बंदला कॉलेज उत्तर भारत का दूसरा संस्थान होगा। इससे पहले आईआईटी रुड़की में ही इसकी सुविधा उपलब्ध है।
देश के विकास कार्यों और हाइड्रो परियोजनाओं में इन विशेषज्ञों की विशेष भूमिका रहेगी। बंदला देश का दूसरा हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज है। पहला कॉलेज उत्तराखंड के रुड़की में है। उत्तराखंड के टीहरी हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में अभी तक बीटेक की ही डिग्री मिलती है। वहां भी अभी एमटेक की डिग्री शुरू नहीं हुई है।
कांगड़ा के नगरोटा बगवां से बंदला कॉलेज में इस वर्ष बीटेक की सभी कक्षाएं शिफ्ट हो जाएंगी। इसके बाद प्रबंधन एमटेक की कक्षाओं की कवायद शुरू करेगा। इसके बाद पीएचडी करवाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
बंदला कॉलेज एनएचपीसी और एनटीपीसी कंपनी के सहयोग से बनाया जा रहा है। यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य आवश्यक चीजों को विकसित करने के लिए फंड की कमी नहीं होगी। हाइड्रो से बीटेक करने वाले सिविल और इलेक्ट्रिकल ट्रेड के प्रशिक्षु इंजीनियरों के पास कुछ ऐसे विषय होते हैं, जिसके चलते वे एमटेक के बाद इन्हीं विषयों में पीएचडी पूरी कर सकते हैं।
बंदला कॉलेज एनएचपीसी और एनटीपीसी कंपनी के सहयोग से बनाया जा रहा है। यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य आवश्यक चीजों को विकसित करने के लिए फंड की कमी नहीं होगी। हाइड्रो से बीटेक करने वाले सिविल और इलेक्ट्रिकल ट्रेड के प्रशिक्षु इंजीनियरों के पास कुछ ऐसे विषय होते हैं, जिसके चलते वे एमटेक के बाद इन्हीं विषयों में पीएचडी पूरी कर सकते हैं।
देश के विकास कार्यों और हाइड्रो परियोजनाओं में इन विशेषज्ञों की विशेष भूमिका रहेगी। बंदला देश का दूसरा हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज है। पहला कॉलेज उत्तराखंड के रुड़की में है। उत्तराखंड के टीहरी हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में अभी तक बीटेक की ही डिग्री मिलती है। वहां भी अभी एमटेक की डिग्री शुरू नहीं हुई है।
बंदला हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के कार्यकारी प्राचार्य एसपी गुलेरिया ने बताया कि आगामी सत्र में नगरोटा बगवां से कॉलेज की सभी कक्षाएं बंदला शिफ्ट करना प्रस्तावित है। इसके बाद एमटेक कक्षाओं की कवायद शुरू होगी।
आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजूकेशन (एआईसीटीई) से मंजूरी ली जाएगी। एमटेक के बाद कॉलेज में सिविल और इलेक्ट्रिकल विषयों पर पीएचडी करवाने की कवायद शुरू की जाएगी। उत्तर भारत में पीएचडी करवाने वाला यह दूसरा कॉलेज होगा।
आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजूकेशन (एआईसीटीई) से मंजूरी ली जाएगी। एमटेक के बाद कॉलेज में सिविल और इलेक्ट्रिकल विषयों पर पीएचडी करवाने की कवायद शुरू की जाएगी। उत्तर भारत में पीएचडी करवाने वाला यह दूसरा कॉलेज होगा।