उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्रीनयनादेवी मंदिर के पीछे पहाड़ी की ग्राउटिंग को लेकर अब सर्वेक्षण होगा। इस बाबत जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीआईसी) चंडीगढ़ की एक टीम 18 अप्रैल को नयनादेवी के विजिट के लिए पहुंचेगी। जीआईसी के डायरेक्टर के साथ पिछले दिनों उपायुक्त एवं मंदिर न्यास के अध्यक्ष पंकज राय की एक मीटिंग हो चुकी है। ऐसे में एक्सपट्र्स की राय के आधार पर पहाड़ी की ग्राउटिंग के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। जानकारी के मुताबिक बरसात के दिनों नयनादेवी मंदिर से पीछे की तरफ की पहाड़ी से चट्टानें और पत्थर गिरते रहते हैं, जिसकी वजह से भविष्य में मंदिर के अस्तित्व को भी खतरा पैदा हो सकता है।
संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए मंदिर न्यास प्रशासन मंदिर के पीछे की पहाड़ी की ग्राउंटिंग करवाकर इसे टिकाऊ व मजबूत बनाने की योजना पर काम कर रहा है। हालांकि मंदिर न्यास प्रशासन की ओर से आईआईटी रुड़की और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के एक्सपट्र्स के माध्यम से भी एक विजिट करवाया गया था। अब फाइनल सर्वे करवाकर कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। पिछले दिनों चंडीगढ़ में कार्यरत जीआईसी के डायरेक्टर के साथ उपायुक्त पंकज राय की एक बैठक हुई है, जिसमें उस ओर से आश्वस्त किया गया है कि अप्रैल में एक टीम नयनादेवी पहुंचेगी और पहाड़ी को चैक करेगी। (एचडीएम)
विकास के लिए प्लान
नयनादेवी के सुनियोजित विकास के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। आने वाले समय में जब यह योजना मूर्तरूप लेगी तो प्रदेश सहित बाहरी राज्यों से मंदिर दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को काफी सहूलियतें उपलब्ध होंगी। इसके साथ ही दिव्यांगए बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं की मंदिर पहुंचकर मां के दर्शन करने की राह भी आसान हो जाएगी।