हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)में जातीय(Castism) भेदभाव और प्रताड़ना के मामले दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे है। पिछले चार सालों में सरकार और पुलिस ऐसे मामलों को रोकने में पूरी तरह असफल रही है। कई हिंदूवादी और दलित संगठनों के अस्तित्व में आने से इन घटनाओं में लगातार वृद्धि होती जा रही है। सरकार ऐसे असामाजिक और देश को बांटने वाले संगठनों पर चुपी साधे बैठी है, जिसके चलते दलित समाज के लोग लगातार सामाजिक भेदभाव और प्रताड़ना का शिकार हो रहे है।
ऐसा ही ताजा मामला मंडी के खरोटा स्कूल से निकल कर सामने आया है। जहां स्कूल में कार्यरत एक अध्यापिका को महिला एमडीएम (MDM) वर्कर लंबे समय से जातीय आधार पर स्कूल में प्रताड़ित करती आ रही है। महिला अध्यापिका का आरोप है कि मिड डे मील वर्कर पंडित जाति से है और वह अनुसूचित जाति से संबंधित है। मिड डे मिल वर्कर (Mid Day Meal Worker)अध्यापिका को जाति के नाम से संबोधित करती है और उस पर थूकती है।
जानकारी के मुताबिक मिड डे मील वर्कर महिला ने अपने पति को स्कूल में बुलाया था। महिला ने पति के साथ मिलकर अध्यापिका से मारपीट की और जातीय आधार पर प्रताड़ित किया। मिड डे मील वर्कर और उसके पति ने अध्यापिका को उसकी जाति के नाम लेकर नीचा दिखाया, मुंह पर थूका और जान से मारने की धमकियां भी दी। महिला अध्यापिका को मारपीट के दौरान चोटें भी आई है।
अध्यापिका ने इस बारे पुलिस को शिकायत पत्र दिया है तथा एससी एसटी एक्ट(SC,ST Act) में कार्यवाही की मांग की है। इस मामले में पीड़ित महिला अध्यापिका ने बाकायदा पुलिस को शिकायत पत्र दिया है लेकिन पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के आदेशों को अनदेखा करते हुए अभी तक FIR दर्ज नही की है। जब इस बारे पीड़िता से बात की गई तो उनका कहना था कि वह इस मामले में कोई भी समझौता नही करेगी।
उधर इस मामले को देख रहे पुलिस अधिकारी जगत राम का कहना है कि उन्होंने अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नही की है तथा पीड़ित महिला ने एफआईआर दर्ज करने के लिए दो दिन तक मना किया है। अब देखना यह होगा कि पुलिस का सुप्रीम कोर्ट के आदशों के विरुद्ध काम सामने आने पर हिमाचल पुलिस इस केस में क्या कार्यवाही करती है।