बिलासपुर के बंदला में बन रहे देश के पहले हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रथम वर्ष के प्रवेश के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इलेक्ट्रिकल और सिविल ट्रेड में 63-63 सीटें भरी गई हैं। लेकिन काउंसलिंग पूरी होने के बाद इनमें सिविल और इलेक्ट्रिकल ट्रेड के दो-दो प्रशिक्षुओं के कॉलेज छोड़ने के बाद यहां वर्तमान में 122 सीटें भरी है। हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रधानाचार्य आरके अवस्थी ने बताया कि कॉलेज में काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी कर दी गई है।
वहीं प्रबंधन कक्षांए भी शुरू करने जा रहा था। लेकिन अभी तक कॉलेज का गर्ल्स होस्टल पूरी तरह तैयार होकर प्रबंधन को नहीं सौंपा गया है। जिस कारण छात्रा प्रशिक्षुओं को आवासीय सुविधा की परेशानी होती। इसी कारण छात्राओं के अभिभावकों के आग्रह पर कॉलेज द्वारा ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी गई हैं। जैसे ही छात्रावास तैयार हो जाएगा, वैसे ही कॉलेज की ऑफलाइन कक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी।
बताते चलें कि बंदला में 62.08 बीघा जमीन पर 105 करोड़ की लागत से हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज (Hydro Engineering College) बनकर तैयार हुआ है। वहीं ऑल इंडिया काउंसलिंग फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) से हरी झंडी मिलने के बाद कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवां से प्रथम वर्ष की कक्षाएं बंदला (Bandla) शिफ्ट हुई हैं। बीते 4 वर्षों से बंदला में भवन निर्माण कार्य पूरा नहीं होने व मूलभूत ढांचे में व्याप्त कमियों की वजह से एआईसीटीई की मंजूरी न मिलने पाने की स्थिति में यहां कक्षाएं शुरू नहीं हो सकी थीं। इस वजह से नगरोटा बगवां से ही पहला बैच निकाला गया।
वहीं अब बंदला में तीन राउंड की काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी गईं हैं। कॉलेज जब पूर्ण रूप से संचालित होगा तो इसमें 4 ट्रेड की डिग्री मिलेगी। हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज (Hydro Engineering College) प्रत्येक ट्रेड की सभी को मिलाकर 63-63 सीटें होंगी। यहां से हर बैच में 252 हाइड्रो इंजीनियर पास आउट होंगे। हिमाचल के अकेले हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में सिविल, मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल व कंप्यूटर साइंस ट्रेड में पढ़ाई होगी। यहां प्रथम साल में सिविल व इलेक्ट्रिकल की कक्षा शुरू हुई जिसमें 120 विद्यार्थी अध्ययनरत होंगे।