छानबीन में यह भी सामने आया है कि करोड़ोंरु पए की हड़पी गई छात्रवृत्ति राशि का कुछ हिस्सा बिजनैस में भी इन्वैस्ट किया गया है। पूरे घोटाले में शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधिकारी अरविंद राजटा की भूमिका सबसे अहम बनकर सामने आई है। देखा जाए तो विभिन्न निजी संस्थानों ने हजारों छात्रों के नाम पर फर्जी तरीके से करोड़ोंरु पए की छात्रवृत्ति हड़प ली जबकि पूरे सिस्टम को कई सालों तक भनक नहीं लगी। जब मामला सामने आया तो पूरा घोटाला 250 करोड़ से अधिक आंका गया। सीबीआई जांच के अंतर्गत सरकारी संस्थानों में अनियमितताओं से जुड़े कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। अब तक निजी संस्थानों की संलितप्ता पूरे घोटाले में सामने आई है।
जांच में मिले साक्ष्य के आधार पर सीबीआई कुछ निजी शिक्षण संस्थानों सहित अन्यों के बैंक खातों को भी सीज कर चुकी है। इसके साथ ही ईडी भी जांच में जुटी हुई है। आने वाले समय में ऐसी संपत्तियां भी अटैच हो सकती हंै, जो छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम देकर बनाई गई हैं। कई संपत्तियों का जांच में पता लग चुका है और इस संबंध में दस्तावेज भी हाथ लगे हैं।