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नेशनल डेस्क। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक 19 मिनट का वायरल वीडियो चर्चा का विषय बना हुआ है। यूजर्स बिना सच्चाई जाने इसे तेजी से शेयर कर रहे हैं। लेकिन पुलिस ने अब इस वीडियो का असली सच बता दिया है। जांच में सामने आया है कि यह वीडियो असली नहीं है। यह पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बनाया गया है। पुलिस ने इसे फॉरवर्ड करने वालों को सख्त चेतावनी दी है। ऐसा करने पर आपको सीधी जेल हो सकती है।
19 मिनट के वायरल वीडियो की हकीकत
नवंबर 2025 के आखिरी हफ्ते में यह क्लिप सामने आई थी। देखते ही देखते यह वायरल वीडियो इंटरनेट पर छा गया। लोग इसके फर्जी ‘पार्ट-2’ और ‘पार्ट-3’ भी खोजने लगे। लेकिन पुलिस अधिकारी ने अब बड़ा खुलासा किया है। उनके मुताबिक, 19 मिनट का यह वीडियो डीपफेक तकनीक का नमूना है। यह वीडियो AI-जनरेटेड है। पुलिस ने बताया कि वीडियो की सत्यता परखने के लिए आप siteengine.com का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह खबर उन लोगों के लिए झटका है जो इसे असली मान रहे थे।
शेयर करने से पहले जान लें कानूनी नियम
पुलिस ने साफ कर दिया है कि किसी की निजता का हनन बर्दाश्त नहीं होगा। इस वायरल वीडियो को शेयर करना या किसी को भेजना अपराध है। ऐसा करने वालों पर आईटी एक्ट (IT Act) के तहत कार्रवाई होगी। पुलिस सोशल मीडिया पर नजर बनाए हुए है।
इन धाराओं में दर्ज होगा केस
अगर आप ऐसे वीडियो शेयर करते पकड़े गए, तो मुसीबत पक्की है।
धारा 67: अश्लील सामग्री प्रसारित करने पर।
धारा 67A: यौन सामग्री प्रकाशित या फैलाने पर।
धारा 66: कंप्यूटर या डेटा से जुड़े अपराधों के लिए।
कितनी हो सकती है सजा?
नियम तोड़ने वालों के खिलाफ पुलिस सख्त एक्शन लेगी।
दोषी को 2 साल तक की जेल हो सकती है।
कुछ गंभीर मामलों में सजा 3 साल तक बढ़ सकती है।
आरोपी को भारी जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
पुलिस ने अपील की है कि लोग ऐसे वायरल वीडियो से दूर रहें। इसे फॉरवर्ड करना मनोरंजन नहीं, बल्कि एक गंभीर अपराध है।
