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बिलासपुर, 06 दिसंबर। आज के दौर में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अगर आप नए आयाम स्थापित करना चाहते हैं, तो आपको आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI में महारथ हासिल होनी चाहिए। इसलिए समय की मांग और मौके की नजाकत को देखते हुए हिमाचल प्रदेश में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। जहां बिलासपुर जिला में एक राजकीय महाविद्यालय प्रदेश का पहला सरकारी संस्थान होगा जहां AI की शिक्षा दी जाएगी।
जानकारी के अनुसार, कॉलेज प्रशासन ने इस दिशा में बड़ी तैयारी शुरू कर दी है। एआई आधारित पाठ्यक्रम को मजबूत बनाने के लिए कॉलेज प्रबंधन ने 30 नए हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटर खरीदे हैं। इनमें ऐसी आधुनिक कॉन्फ़िगरेशन शामिल है, जो मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग और डेटा साइंस जैसे उभरते विषयों को आसानी से चलाने में सक्षम हैं।
कॉलेज ने सिर्फ लैब ही नहीं, बल्कि पूरी शैक्षणिक संरचना को आधुनिक बनाने की तैयारी कर ली है। महाविद्यालय की लाइब्रेरी को डिजिटल लाइब्रेरी में बदलने का काम तेज़ी से चल रहा है। डिजिटाइजेशन के बाद छात्र हजारों ई-बुक्स, रिसर्च पेपर्स, ई-जर्नल्स और डिजिटल सामग्री को आसानी से एक्सेस कर पाएंगे। इससे कॉलेज का शैक्षणिक माहौल तकनीक के अनुरूप और आधुनिक बनेगा।
एआई शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए कॉलेज ने पांच प्रोफेसरों को विशेष आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रशिक्षण दिलवाया है। यह शिक्षक आने वाले सत्र में छात्रों को प्रैक्टिकल, लाइव प्रोजेक्ट्स और रिसर्च असाइनमेंट के ज़रिए एआई और मशीन लर्निंग की वास्तविक समझ देंगे। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पी.एस. कटवाल ने बताया कि यह पहल सिर्फ बिलासपुर ही नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल की शिक्षा व्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
उन्होंने कहा- “हमारा उद्देश्य छात्रों को भविष्य की तकनीक से जोड़ना है। एआई आने वाले वर्षों में हर क्षेत्र की रीढ़ बनने जा रहा है। डिजिटल लाइब्रेरी और एआई ट्रेनिंग से हमारी शिक्षा पद्धति पूरी तरह आधुनिक बनेगी और छात्रों को भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार करेगी।”
महाविद्यालय के छात्रों ने भी इसे ऐतिहासिक कदम बताया। उनका कहना है कि अब दुनिया के लगभग सभी सेक्टर- कृषि, मेडिकल साइंस, मीडिया, इंजीनियरिंग, रक्षा और सरकारी प्रशासन एआई आधारित सिस्टम पर निर्भर होते जा रहे हैं।
छात्रों के अनुसार, “एआई सीखना अब सिर्फ करियर का विकल्प नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहने की जरूरत भी बन गया है। फेक न्यूज़, डीपफेक और साइबर फ्रॉड जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए एआई की समझ बेहद जरूरी हो गई है।”
