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सोलन, 29 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित एक श्मशान घाट से गायब हुई अस्थियों के मामले में अपडेट सामने आया है। श्मशान घाट ने अस्थियां गायब होने के रहस्य को पुलिस ने आखिरकार सुलझा लिया है। पुलिस की गहन जांच-पड़ताल, रिकॉर्ड जांच और CCTV फुटेज के विश्लेषण से पूरी स्थिति साफ हो गई है। शुरुआती तौर पर जिस घटना को लोग संदेह और रहस्य की नजर से देख रहे थे-अब उसकी सच्चाई सामने आ गई है।
दरअसल, कुछ दिन पहले शिकायतकर्ता परिवार ने पुलिस चौकी सोलन में शिकायत दर्ज करवाई थी कि उनकी माता की अस्थियां चंबाघाट श्मशान घाट के लॉकर से गायब हो गई हैं। मामला धार्मिक आस्था और भावनाओं से जुड़ा होने के कारण प्रशासन ने भी इसे गंभीरता से लिया और तुरंत जांच शुरू कर दी।
पुलिस टीम ने श्मशान घाट में लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली, रजिस्टरों की एंट्री देखी और वहां कार्यरत कर्मचारियों से भी पूछताछ की। जांच के दौरान सामने आया कि 19 दिसंबर की सुबह प्रणव घोष अपने दिवंगत चाचा विजय घोष की अस्थियां लेने श्मशान घाट पहुंचे थे।
उसी समय श्मशान घाट के पास बने लॉकरों में शिकायतकर्ता की माता की अस्थियां भी सुरक्षित रखी गई थीं। पुलिस जांच में यह तथ्य सामने आया कि सभी लॉकर लगभग एक जैसी बनावट के हैं और उस दिन सुबह के समय वहां रोशनी भी कम थी। इसी कारण प्रणव घोष से अनजाने में भूल हो गई और उनकी चाबी दूसरे लॉकर में लग गई।
पुलिस के अनुसार, प्रणव घोष ने जिस लॉकर को अपने चाचा का समझा, दरअसल उसमें शिकायतकर्ता की माता की अस्थियां रखी हुई थीं। वे इन्हें अपने साथ ले गए और धार्मिक परंपरा के अनुसार हरिद्वार पहुंचकर गंगा में प्रवाहित कर दिया। वहीं, उनके अपने चाचा विजय घोष की अस्थियां श्मशान घाट के दूसरे लॉकर में पूरी तरह सुरक्षित पाई गईं।
मामले की सच्चाई स्पष्ट करने के लिए पुलिस ने शिकायतकर्ता के भाई राजीव पाल और दूसरे पक्ष के प्रणव घोष को आमने-सामने बैठाकर बयान दर्ज किए। CCTV फुटेज, रजिस्टर की एंट्री और दोनों पक्षों के बयानों से यह पूरी तरह साफ हो गया कि घटना में किसी भी प्रकार की चोरी या आपराधिक मंशा नहीं थी।
सच्चाई सामने आने के बाद प्रणव घोष और उनके परिजनों ने इस गंभीर भूल को स्वीकार किया। उन्होंने शिकायतकर्ता परिवार से क्षमा याचना की और अपनी गलती पर गहरा खेद जताया। वहीं, शिकायतकर्ता परिवार जहां इस बात को लेकर दुखी था कि वो रीति-रिवाज से महिला का अस्थि विसर्जन नहीं कर पाए। वहीं, सच्चाई जानने के बाद वो दंग रह गए कि उनकी महिला का किसी और परिवार के हाथों विधिपूर्वक अस्थि विसर्जन कर दिया गया है।
मामले की जांच में जुटी पुलिस टीम ने ये स्पष्ट किया है कि श्मशान घाट में अस्थियों की चोरी नहीं हुई थी। महज गलतफहमी और भूल के कारण अस्थियां लॉकर से गायब हुईं। दोनों पक्षों की आपसी सहमति से मामले को सुलझा लिया गया है।
पुलिस टीम ने दोनों पक्षों के आमने-सामने बैठकर बयान दर्ज किए। शिकायतकर्ता से दूसरे परिवार के लोगों ने लिखित और मौखिक रूप से माफी मांगी। शिकायतकर्ता ने भी पुलिस से मामले में आगामी कार्रवाई ना करने की अपील की।
