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बिलसापुर, 29 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश में बढ़ते चिट्टे के नशे से अपने बच्चों और युवा पीढ़ी को बचाने के लिए जिला बिलासपुर के लघट गांव की महिलाओं ने नई पहल की है। यह महिलाएं सर्द रातों में रात को शॉल ओढ़कर और हाथ में डंडे लेकर सड़कों पर गश्त पर निकल जाती हैं। इन महिलाओं का एक ही उद्देश्य है- रात को नशे की तस्करी करने वालों को पकड़ कर पुलिस के हवाले करना।
अब इन दिनों रातें बहुत ज्यादा ठंडी हो गई हैं। तापमान करीब सात डिग्री तक गिर चुका है, लेकिन लघट गांव की महिलाओं के हौसले इससे कहीं ज्यादा तपते हुए नजर आते हैं। गांव के पटवारघर के सामने लघट महिला मंडल की महिलाएं एक-एक कर इकट्ठा होती हैं।
हाथों में डंडे हैं, चेहरों पर डर नहीं बल्कि दृढ़ संकल्प है और होंठों पर खुद लिखा गीत-“मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास, चिट्टे का होगा विनाश…” यही गीत उनकी ताकत है, यही उनकी लड़ाई का ऐलान।
पिछले 16 दिनों से यह नजारा रोज दोहराया जा रहा है। लघट महिला मंडल की प्रधान पिंकी शर्मा के नेतृत्व में महिलाएं रातभर गांव और आसपास के संभावित चिट्टे के ठिकानों पर गश्त करती हैं। पहले बैरी पंचायत की सीमा तक पैदल निगरानी की जाती है, फिर लौटकर गांव के खुले मैदान में आग जलाकर ‘ठीकरी पहरा’ दिया जाता है।
ठंड से बचने के लिए नहीं, बल्कि एकजुटता के प्रतीक के तौर पर यह आग जलाई जाती है। महिलाओं का साफ कहना है कि यह पहरा किसी दिखावे के लिए नहीं, बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ी को नशे से बचाने के लिए है।
इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत यह है कि महिलाएं अकेली नहीं हैं। रात दस बजे के बाद उनके पति, बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य भी पहरे में शामिल हो जाते हैं। कोई गांव की सीमा तक निगरानी करता है, कोई चाय बनाकर लाता है, तो कोई बच्चों को संभालते हुए महिलाओं का हौसला बढ़ाता है।
महिला मंडल की कुल 22 सदस्य हैं। सभी ने पहरे के लिए दिन तय किए हैं। हर 15 मिनट में कोई न कोई टोली गांव की सीमा तक जाकर हालात पर नजर रखती है। थकान के बीच जब हौसला डगमगाने लगता है, तो गीत गूंजते हैं सुन भारत की नारी, तू मत बनना बेचारी, हार मान न लेना तू, तेरी जंग अभी है जारी।
महिला मंडल की सदस्यों का कहना है कि नई सड़क ने लघट को पंजगाईं, बरमाणा और बैरी रजादियां पंचायतों से जोड़ दिया है। यह रास्ता जंगल से होकर गुजरता है, जहां निगरानी बेहद जरूरी है। महिलाओं का कहना है कि इसी रास्ते का इस्तेमाल चिट्टे की सप्लाई के लिए होने की आशंका रहती है, इसलिए यहां विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
22 दिसंबर को हालात उस वक्त तनावपूर्ण हो गए, जब गांव की सीमा पर पहुंचे कुछ चिट्टे के आदी युवक आपस में मारपीट करने लगे। महिलाओं का दावा है कि ये युवक गांव के ही किसी सप्लायर से चिट्टा लेने आए थे। महिला मंडल ने उन्हें रोकने की कोशिश की और पुलिस को सूचना दी। लेकिन इस पहल का नतीजा महिलाओं के लिए चौंकाने वाला रहा।
पुलिस कार्रवाई के बाद उलटा महिला मंडल की सदस्यों पर ही करीब सात धाराओं में FIR दर्ज कर दी गई। यह खबर गांव में मायूसी जरूर लेकर आई, लेकिन महिलाओं के इरादे नहीं डगमगाए।
महिलाओं का साफ कहना है कि अगर चिट्टे के खिलाफ खड़े होने की सजा FIR है, तो वे यह सजा भी स्वीकार करने को तैयार हैं। जरूरत पड़ी तो अदालत तक लड़ाई लड़ेंगे, लेकिन गांव में चिट्टा बिकने नहीं देंगे।
महिला मंडल की प्रधान पिंकी शर्मा का कहना है कि यह अभियान हमने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अपील के बाद शुरू किया। उन्होंने खुद कहा था कि चिट्टे के खिलाफ समाज आगे आए। हमें लगा कि अपने बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है। FIR होने से दुख जरूर हुआ, सरकार से शिकवा भी है, लेकिन हमारी लड़ाई सही है और यह आखिरी दम तक चलेगी।
महिला मंडल लघट की इस मुहिम को अब राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा है। सदर विधायक त्रिलोक जमवाल ने कहा है कि वे इस आंदोलन के साथ हैं। अगर महिलाओं पर दर्ज FIR रद्द नहीं की गई, तो भाजपा कल धरना देगी।
लघट गांव की महिलाएं आज सिर्फ अपने गांव की पहरेदार नहीं हैं, बल्कि पूरे हिमाचल के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं। यह लड़ाई केवल चिट्टे के खिलाफ नहीं, बल्कि उस खामोशी के खिलाफ है, जो नशे को पनपने देती है। ठंड, FIR और डर- कुछ भी इन महिलाओं के हौसले को नहीं रोक सका। लघट की रातें अब जागती हैं, ताकि आने वाला कल नशे से मुक्त हो सके।
