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शिमला, 26 दिसंबर। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में डॉक्टर और मरीज के बीच हुई मारपीट व विवाद का मामला अब बेहद गंभीर चरण में पहुंच गया है। इस घटनाक्रम के विरोध में हिमाचल प्रदेश के रेजिडेंट डॉक्टरों ने कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ हुई बैठक के कुछ ही घंटों बाद डॉक्टर संगठनों की संयुक्त बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया।
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA), हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन (HMOA) और स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स (SAMDCOT) की जॉइंट एक्शन कमेटी ने दोपहर बाद बैठक कर सरकार को साफ संदेश दिया कि जब तक मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
डॉक्टर संगठनों की सबसे प्रमुख मांग आईजीएमसी के डॉक्टर राघव के खिलाफ की गई टर्मिनेशन की कार्रवाई को तुरंत निरस्त करने की है। डॉक्टरों का कहना है कि बिना निष्पक्ष जांच के लिया गया यह फैसला अन्यायपूर्ण है और इससे पूरे मेडिकल समुदाय में असंतोष फैला है। इसके साथ ही डॉक्टरों ने आईजीएमसी परिसर में हुई कथित मारपीट, भीड़ द्वारा डराने-धमकाने और कथित “ट्रायल” जैसी घटना को बेहद गंभीर बताया है।
संगठनों ने इस मामले में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, डॉक्टर को जान से मारने की धमकी देने और देश छोड़ने को मजबूर करने के आरोपों में नरेश दस्ता के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
डॉक्टर संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने सुबह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से उनके आवास ओक ओवर में मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने पूरे मामले की दोबारा जांच कराने और डॉक्टरों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का भरोसा दिलाया। इसके बावजूद डॉक्टर संगठनों का कहना है कि सिर्फ आश्वासन से बात नहीं बनेगी और जब तक ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक हड़ताल ही एकमात्र रास्ता है।
डॉक्टरों की सामूहिक हड़ताल का असर पहले ही दिन प्रदेशभर में देखने को मिला। 3000 से अधिक डॉक्टर आज सामूहिक अवकाश पर रहे, जिससे सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। शिमला स्थित आईजीएमसी सहित प्रदेश के कई अस्पतालों में दूर-दराज क्षेत्रों से आए मरीजों को बिना उपचार लौटना पड़ा।
आईजीएमसी पहुंचे मरीज जीवन राम ने बताया कि उन्हें हृदय संबंधी समस्या है, लेकिन डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण उनका इलाज नहीं हो पाया। वहीं कुमारसैन की रहने वाली कृष्णा देवी ने बताया कि आज उनका एमआरआई होना था। वह पिछले दस दिनों से रिपन अस्पताल में भर्ती हैं और बड़ी मुश्किल से जांच की तारीख मिली थी, लेकिन हड़ताल के चलते अब उन्हें फिर से नई तारीख लेनी पड़ेगी।
सैमडकोट के महासचिव डॉ. पियूष कपिला ने कहा कि जांच रिपोर्ट में मरीज और डॉक्टर दोनों को दोषी बताया गया, लेकिन कार्रवाई सिर्फ डॉक्टर पर की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच नहीं हुई और न ही दोनों पक्षों को आमने-सामने रखने का मौका मिला।
इस मामले में मरीज की शिकायत पर पुलिस भी अलग से जांच कर रही है। अस्पताल का CCTV फुटेज सामने नहीं आ पाया है, अब पुलिस वायरल वीडियो के मूल स्रोत तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
डॉक्टरों की टर्मिनेशन के बाद सरकार और चिकित्सकों के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस टकराव की कीमत आखिर मरीजों को क्यों चुकानी पड़ रही है।
