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धर्मशाला, 05 दिसंबर। हिमाचल में लंबित भुगतान के चलते सुक्खू सरकार से नाराज़ चल रहे ठेकेदारों का सब्र अब टूटने लगा है। ट्रेजरी में महीनों से अटके बिल और अपनी जेब से खर्च कर किए गए कामों की मार झेल रहे ठेकेदारों की नाराज़गी को लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के हालिया बयान ने और भड़का दिया है। इसी बढ़ती बेचैनी के बीच ठेकेदार शुक्रवार को विधानसभा परिसर पहुंचकर अपनी समस्याएं सीधे मंत्री के सामने रखने को मजबूर हुए।
आज शुक्रवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन विकास कार्यों के लंबे समय से भुगतान ना होने से परेशान ठेकेदारों ने विधानसभा परिसर में पहुंच कर लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह से मुलाकात की। इस दौरान जहां ठेकेदारों ने जल्द उनके लंबित भुगतान को देने की अपील की। वहीं उन्होंने दो दिन पहले मंत्री विक्रमादित्य के बयान ठेकेदारों की मंजी ठोकने की बात पर भी कड़ी आपत्ति जताई।
प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री से स्पष्ट कहा कि हमने ईमानदारी से काम किया है, मगर सरकार द्वारा दिए जाने वाले भुगतान में देरी से हमारा भविष्य अंधकारमय हो रहा है। अगर बिल पास नहीं हुए तो कई ठेकेदार कारोबार बंद करने की स्थिति में पहुंच जाएंगे। इसके साथ ही ठेकेदारों ने मंत्री को उनके विवादित बयान पर असंतोष से भी अवगत कराया।
दरअसल सदन में दो दिन पहले भवानी पठानिया के एक सवाल का जवाब देते हुए मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा था कि लापरवाही बरतने वाले ठेकेदारों की मंजी ठोकनी पड़ेगी। उनके इस बयान ने प्रदेश भर के ठेकेदारों को भड़का दिया है। ठेकेदारों का कहना है कि यह बयान न केवल आपत्तिजनक था, बल्कि ऐसे समय में दिया गया जब ठेकेदार पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
ठेकेदारों का कहना था कि सरकार उनके लंबित भुगतान तो कर नहीं रही है, ऊपर से उनके खिलाफ भद्दे बयान दिए जा रहे हैं। इसलिए वे अब खुलकर विरोध में उतर आए हैं। विधानसभा परिसर पहुंचे ठेकेदारों ने कहा कि सड़क, पुल, भवन और अन्य निर्माण कार्य उन्होंने अपनी जेब से पैसा लगाकर पूरे किए, लेकिन महीनों से ट्रेजरी में बिल अटके हैं।
मंत्री विक्रमादित्य सिंह से मुलाकात में कई ठेकेदारों ने बताया कि उन्होॆने विकास कार्यों को पूरा करने के लिए बैंक से कर्ज लिया था, जो दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन उसका भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। ठेकेदारों का आर्थिक संतुलन बुरी तरह से बिगड़ गया है। ठेकेदारों का कहना है कि उन्हें भुगतान पाने के लिए लगातार विभागों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, जो बेहद अपमानजनक स्थिति है।
ठेकेदारों ने बताया कि यदि जल्द भुगतान नहीं हुआ तो वे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री से भी मुलाकात कर अपनी चिंताएं सामने रखेंगे।
उन्होंने कहा कि भुगतान अटका रहने से न केवल ठेकेदारों बल्कि प्रदेश के विकास कार्यों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
ठेकेदारों की नाराजगी के बीच मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया और कहा कि ठेकेदारों की समस्या पूरी तरह जायज़ है। वित्तीय चुनौतियों के कारण भुगतान में देरी हुई है। हम लगातार वित्त विभाग से बात कर रहे हैं और जल्द ही लंबित बिल चरणबद्ध तरीके से पास किए जाएंगे। उन्होंने दोहराया कि सरकार किसी भी ठेकेदार को आर्थिक तंगी में नहीं छोड़ना चाहती और भुगतान को शीर्ष प्राथमिकता पर रखा गया है।
मंत्री से मुलाकात के बाद ठेकेदारों ने आशा जताई कि सरकार स्थिति की गंभीरता को समझते हुए जल्द ठोस कदम उठाएगी। हालांकि, ठेकेदार अब भी उस बयान से आहत हैं जिसमें मंजी ठोकने की बात कही गई थी और यही बयान उनके विरोध को और तेज कर रहा है।
