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हिमाचल में राष्ट्रपति शासन की मांग करेंगे पेंशनर्स, सुक्खू सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

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कांगड़ा, 21 नवंबर। हिमाचल प्रदेश में पहली बार पेंशनर्स सड़कों पर आंदोलन करने की तैयारी में हैं। राज्य में वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनर्स ने सरकार के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोल दिया है। 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रदेशभर के हजारों पेंशनर्स तपोवन के पास जोरावर स्टेडियम में इकट्ठा होकर विशाल प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद वे विधानसभा भवन की ओर कूच कर सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराएंगे।

पेंशनर्स संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेती, तो वे राज्यपाल से मिलकर हिमाचल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने की अपील करेंगे। साथ ही, मौजूदा सरकार ने तीन वर्षों में जितना कर्ज लिया है, उसकी सीबीआई जांच करवाने के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगाने की भी तैयारी चल रही है।

भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने प्रदेश सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, सरकार के पास विधायकों और मंत्रियों के वेतन-भत्ते बढ़ाने के लिए पैसा है, लेकिन पेंशनर्स और कर्मचारियों को समय पर पेंशन देने और लंबित मेडिकल बिलों का भुगतान करने के लिए फंड नहीं। उनका आरोप है कि तीन साल में सरकार ने वित्तीय मोर्चे पर कोई सुधार नहीं किया, बल्कि वित्तीय स्थिति और बिगड़ गई है।

घनश्याम शर्मा ने बताया कि 35 साल के संगठनात्मक अनुभव में उन्होंने कभी पेंशनर्स को इतनी मजबूरी में नहीं देखा। उन्होंने कहा कि, वर्तमान सरकार के कामकाज ने पेंशनर्स को पहली बार संयुक्त कार्रवाई समिति बनाने पर मजबूर किया है।

मित्र मंडली से घिरी सरकार को जगान का अब यही तरीका बचा है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि राज्य की आर्थिक हालत खराब है, तो सरकार को श्वेत पत्र जारी करके सच्चाई जनता के सामने रखनी चाहिए, लेकिन सरकार ऐसा करने से बच रही है।

हाल के महीनों में विभिन्न विभागों में की गई भर्ती पर भी पेंशनर्स ने सवाल उठाए हैं। भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ का कहना है कि, भर्तियों में मित्र शब्द जोड़कर नए पद बनाए जा रहे हैं। आज इन्हें नौकरी दी जा रही है, लेकिन दो साल बाद यही लोग भी सड़कों पर होंगे, जैसा आज कर्मचारी और पेंशनर्स हो रहे हैं।

भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ का सबसे बड़ा आरोप यह है कि पिछले तीन सालों से मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं हुआ, जिससे असंख्य वरिष्ठ नागरिक इलाज के लिए आर्थिक तंगी झेल रहे हैं। उन्होंने कहा, सरकार को बताना चाहिए कि तीन साल का लिया गया कर्ज किस काम में खर्च हुआ। हिमाचल की जनता को इस बारे में कोई जानकारी नहीं।

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