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शिमला, 28 नवंबर। हिमाचल की राजधानी शिमला के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल IGMC में सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों को हिलाकर रख देने वाला बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां एक फर्जी नर्स बनी महिला को रंगे हाथों पकड़ा गया है।
IGMC में पकड़ी गई फर्जी नर्स
महिला बिना किसी अधिकृत पहचान या पेशेवर प्रमाणपत्र के अस्पताल के वार्डों, इमरजेंसी और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में जाकर मरीजों से खून के नमूने ले रही थी। वह खुद को IGMC लैब की ओर से भेजी गई टेक्नीशियन बताकर खुलेआम अस्पताल में घूम रही थी, जबकि उसके पास न कोई बैज था और न ही कोई अनुमति।
अस्पताल में क्या कर रही थी महिला?
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से मरीजों और उनके परिजनों ने शिकायतें दी थीं कि एक अनजान महिला खुद को लैब स्टाफ बताकर सैंपल ले रही है, लेकिन उसका व्यवहार पेशेवर नहीं, बल्कि संदिग्ध और असहज करने वाला था। कई लोगों ने बताया कि वह बिना किसी रजिस्ट्रेशन या औपचारिक प्रक्रिया के सीधे मरीजों के पास पहुंच जाती थी, जिससे संदेह और गहरा गया।
कैसे खुली महिला की पोल?
शिकायतें बढ़ने के बाद IGMC प्रशासन ने तुरंत सतर्कता बरती। मेडिकल अधीक्षक के PA ने खुद मरीज बनकर उस महिला से संपर्क किया ताकि उसकी वास्तविकता सामने लाई जा सके। जब उससे पहचान पत्र, अधिकृत अनुमति या अस्पताल द्वारा जारी कोई दस्तावेज मांगा गया, तो वह एक भी प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं कर सकी।
खुद ही उगला सच
पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि वह पहले एक निजी लैब से जुड़ी हुई थी और उसी की ओर से सैंपल ले रही थी। उसने एक अन्य व्यक्ति का नाम भी लिया, जो उसके साथ इस काम में शामिल बताया गया है।
पुलिस तक पहुंचा मामला
IGMC के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. राहुल राव ने इस पूरे मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए विस्तृत शिकायत लक्कड़ बाजार पुलिस चौकी में दर्ज करवाई है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बिना अनुमति अस्पताल परिसर में सैंपल संग्रह करना न केवल नियमों का सीधा उल्लंघन है, बल्कि यह मरीजों की जान को खतरे में डालने वाली हरकत है।
मरीजों की जान को खतरा
ऐसी गतिविधियों के जरिए संक्रमित सैंपल्स का गलत तरीके से निपटान, गलत रिपोर्टिंग या डेटा की चोरी जैसी गंभीर आशंकाएं भी जुड़ जाती हैं। यही कारण है कि IGMC प्रशासन ने इसे सुरक्षा और मरीजों के अधिकारों से जुड़ा बेहद संवेदनशील मुद्दा माना है।
जांच में जुटी पुलिस टीम
शिकायत मिलते ही पुलिस ने महिला से प्रारंभिक पूछताछ की और उसके नेटवर्क, संपर्कों और निजी लैब के साथ उसके संबंधों की जांच शुरू कर दी है। जिस दूसरे व्यक्ति का उसने उल्लेख किया है, उसकी पहचान और भूमिका भी तलाशी जा रही है। पुलिस का कहना है कि मामले की तह तक जाने के लिए CCTV फुटेज, अस्पताल स्टाफ के बयान और लैब रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं।
स्वास्थ्य सुरक्षा पर गहरा सवाल
IGMC में उजागर हुई यह लापरवाही कई गंभीर सवाल खड़े करती है-
बिना पहचान कोई व्यक्ति इतने संवेदनशील वार्डों तक कैसे पहुंच गया?
सुरक्षा व्यवस्था में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?
क्या इससे पहले भी ऐसे सैंपल अस्पताल के बाहर बेचे या गलत तरीके से उपयोग हुए होंगे?
जुड़ा हो सकता है बड़ा रैकेट
अस्पताल प्रशासन और पुलिस दोनों ही अब सख्ती से जांच में जुटे हैं। आशंका है कि मामला केवल फर्जी सैंपलिंग तक सीमित नहीं, बल्कि किसी बड़े रैकेट से भी जुड़ा हो सकता है।फिलहाल, मरीजों और उनके परिजनों के लिए सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है। उम्मीद है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश लागू किए जाएंगे।
