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हिमाचल में आर्थिक संकट, ठेकेदार को नहीं मिली पेमेंट, रेस्ट हाउस पर जड़ दिया ताला

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मंडी, 04 नवंबर। हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। ठेकेदारों, आपूर्तिकर्ताओं और विभागीय कर्मचारियों की लंबित भुगतानों ने अब सरकार के सामने बड़ा सिरदर्द खड़ा कर दिया है। CM सुखविंदर सिंह सुक्खू के बार-बार किए जा रहे आश्वासनों के बावजूद जब भुगतान नहीं हुआ, तो अब ठेकेदारों का सब्र टूटने लगा है। मंडी जिले के सुंदरनगर से ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है। यहां एक ठेकेदार ने लोक निर्माण विभाग (PWD) के नए रेस्ट हाउस भवन पर ताला जड़ दिया है।

जानकारी के अनुसार, सुंदरनगर के पुराने रेस्ट हाउस के साथ नया विश्राम गृह भवन करीब ₹3.73 करोड़ की लागत से बनाया गया था। निर्माण कार्य पूरा हुए एक वर्ष से अधिक हो चुका है, लेकिन विभाग ने अभी तक इसका अंतिम भुगतान जारी नहीं किया। इस बीच ठेकेदार बार-बार विभागीय अधिकारियों से भुगतान की मांग करता रहा, पर जब कोई नतीजा नहीं निकला तो उसने विरोध के प्रतीक के रूप में भवन के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया।

विभागीय सूत्रों के मुताबिक, रेस्ट हाउस का पूरा ढांचा बन चुका है- दीवारों से लेकर फिनिशिंग तक सिर्फ फर्नीचर और अंदरूनी साज-सज्जा बाकी है। इसके लिए विभाग ने 50 लाख रुपये के अतिरिक्त बजट का प्रस्ताव भेजा हुआ है, लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली।

इस पूरे प्रकरण पर PWD सुंदरनगर के XEN रोशन ठाकुर ने स्वीकार किया कि भवन का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है और ठेकेदार को करीब ₹1 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। उन्होंने बताया कि फर्नीचर के लिए 50 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि की मांग की गई है, लेकिन “विभाग को फिलहाल बजट आवंटन की प्रतीक्षा है।

वर्तमान में सुंदरनगर का पुराना रेस्ट हाउस रियासतकालीन भवन है, जिसमें 16 कमरे हैं। VVIP सेट और कॉन्फ्रेंस सुविधा की कमी के चलते पूर्व भाजपा सरकार ने 2021 में साथ ही नया भवन बनाने की मंजूरी दी थी। अब दोनों भवनों को मिलाकर कुल 22 कमरे तैयार हो चुके हैं। लेकिन भवन के तैयार हो जाने के बावजूद सरकार को इसे हैंडओवर नहीं किया गया है। यह नया सरकारी रेस्ट हाउस अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसमें-

एक VVIP
एक VIP सेट
4 अन्य गेस्ट सेट
200 व्यक्तियों की क्षमता वाला कॉन्फ्रेंस हॉल

इस घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सोशल मीडिया पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा कि पहले सरकार खुद तालाबाजी कर रही थी, अब ठेकेदार भी उसी राह पर चल पड़े हैं। कभी फर्नीचर उठा ले जाते हैं, तो कभी सरकारी भवनों पर ताले लगा देते हैं।

इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति और क्या हो सकती है? सुक्खू सरकार प्रदेश की कितनी जगहंसाई करवाएगी?” जयराम ठाकुर ने कहा कि यह घटना दर्शाती है कि राज्य की वित्तीय स्थिति कितनी चरमरा गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार रेस्ट हाउसों से करोड़ों कमा रही है, तो ठेकेदारों की मेहनत का पैसा क्यों नहीं दे पा रही?

राज्य के ठेकेदारों में भी भारी नाराजगी है। हाल ही में धर्मशाला में ठेकेदारों ने प्रदर्शन करते हुए सरकार से बकाया भुगतान की मांग की थी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने तब घोषणा की थी कि दिवाली से पहले सभी ठेकेदारों को बकाया राशि दी जाएगी, लेकिन नवंबर तक भी भुगतान नहीं हुआ। अब हालात यह हैं कि कई ठेकेदारों ने निर्माण कार्य रोक दिए हैं, जबकि कुछ ने आपूर्ति बंद करने की चेतावनी दी है।

विडंबना यह है कि हाल ही में हिमाचल सरकार ने आंकड़ा जारी किया था कि राज्य में 264 सरकारी रेस्ट हाउसों को सार्वजनिक ऑनलाइन बुकिंग प्रणाली के तहत खोला गया है। इससे अब तक 2 करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी हुई है। लेकिन सवाल यह है कि जब रेस्ट हाउसों से सरकार कमाई कर रही है, तो ठेकेदारों को उनका भुगतान क्यों नहीं दिया जा रहा?

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि हिमाचल की वर्तमान वित्तीय स्थिति “कैश-फ्लो क्राइसिस” के दौर में है। केंद्र से अपेक्षित वित्तीय सहायता समय पर नहीं मिल पा रही, वहीं राज्य का कर्ज बोझ लगातार बढ़ रहा है। नतीजतन, विभागों के पास प्रोजेक्ट भुगतान रोकने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा है।

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