शिमला, 21 नवंबर। शिमला में साइबर ठगों ने एक सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारी को जीवन प्रमाणपत्र अपडेट करने के नाम पर ठग लिया। ठगों ने शिकार के खाते से 17 लाख रुपये की बड़ी रकम निकाल ली। पीड़ित ने ढली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। एसएसपी शिमला संजीव कुमार गांधी ने बताया कि पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। यह घटना 17 नवंबर की शाम को घटी।
17 नवंबर की रात आठ बजे पीड़ित के मोबाइल पर एक कॉल आया। कॉलर ने खुद को बैंक अधिकारी बताया। उसने पीड़ित को एक व्हाट्सएप लिंक भेजा। इस लिंक में पीएनबी वन एपीके नाम दिख रहा था। कॉलर ने दावा किया कि जीवन प्रमाण पत्र अपडेट करना जरूरी है। अगले दिन फिर उसी नंबर से व्हाट्सएप कॉल आई। पीड़ित ने ठगों के भेजे लिंक को खोल दिया।
लिंक खोलते ही पीड़ित के मोबाइल पर ओटीपी आने शुरू हो गए। साइबर ठगों ने उनके मोबाइल का रिमोट एक्सेस हासिल कर लिया। इसके बाद उन्होंने बैंक खाते से पैसे निकालने शुरू कर दिए। पीड़ित को तब पता चला जब खाते से 17 लाख रुपये की निकासी का मैसेज आया। उन्होंने तुरंत बैंक को कॉल किया। बैंक स्टाफ ने बताया कि 31 लाख रुपये की एफडी से 16 लाख रुपये का डेबिट हुआ है।
पीड़ित ने ढली पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने बीएनएस की धारा 318(4) और 319(2) के तहत केस दर्ज किया। आईटी एक्ट की धारा 66 भी मामले में लागू की गई है। पुलिस ने बैंक से ट्रांजेक्शन का विवरण मांगा है। टेलीकॉम कंपनी से संदिग्ध नंबर की जानकारी ली जा रही है। साइबर सेल की टीम भी जांच में जुट गई है।
यह मामला साइबर ठगी के नए तरीके को उजागर करता है। ठग अब सरकारी दस्तावेजों के अपडेशन का बहाना बना रहे हैं। पेंशनभोगी और वरिष्ठ नागरिक अक्सर ऐसे धोखे का शिकार होते हैं। पुलिस ने लोगों से सतर्कता बरतने की अपील की है। किसी अज्ञात नंबर से आई कॉल पर भरोसा न करें। बैंक या सरकारी विभाग से जुड़ी जानकारी सीधे संबंधित कार्यालय से लें।
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ओटीपी किसी के साथ साझा न करें। अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें। मोबाइल में रिमोट एक्सेस एप्स इंस्टॉल न करें। संदिग्ध गतिविधि का पता चलने पर तुरंत बैंक को सूचित करें। बैंक खाते में टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन जरूर इनेबल करें। नियमित रूप से बैंक स्टेटमेंट चेक करते रहें। किसी भी प्रकार की असमान्य ट्रांजेक्शन पर तुरंत कार्रवाई करें।
