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शिमला, 26 नवंबर। हिमाचल प्रदेश के प्री-प्राइमरी स्कूलों में मिड-डे मील के संचालन को लेकर गंभीर खामियां सामने हैं। राज्य खाद्य आयोग द्वारा सोमवार को किए गए निरीक्षण में जिस तरह की कमियां सामने आईं, उसने प्रदेश में छोटे बच्चों की भोजन व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
मिड-डे मील में कमियां
नर्सरी और केजी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को बिना हाथ धुलवाए भोजन परोसा जा रहा था और मिड-डे मील की गुणवत्ता भी बुरी तरह प्रभावित पाई गई। इतना ही नहीं बच्चों को परोसे जाने वाले चावल में घुन और छोटे काले कीड़े मौजूद थे।
बच्चों को बिना हाथ धोए खाना
राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष डॉ. SP कत्याल ने शिमला के घणाहट्टी प्राथमिक स्कूल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान देखा गया कि नर्सरी और केजी के छोटे बच्चे सीधे कक्षा से उठकर बिना हाथ धोए ही मिड-डे मील खा रहे थे। विद्यालय में साफ-सफाई का स्तर इतना कमजोर था कि बच्चों के स्वास्थ्य पर सीधा खतरा पैदा हो सकता है।
क्या-क्या पाई गई कमियां?
खाद्य आयोग ने मिड-डे मील की गुणवत्ता को भी असंतोषजनक पाया। आयोग की टीम ने पाया कि-
मिड-डे मील में जरूरी पोषण मानकों का पालन नहीं किया जा रहा था
अनिवार्य सब्जियां मेन्यू से गायब थीं
चावलों में घुन और छोटे-छोटे कीड़े मौजूद थे
बच्चों को बिना सहायता के छोड़ा
इस स्थिति ने स्कूल प्रबंधन के स्तर पर गंभीर लापरवाही और खाद्य सुरक्षा दिशा-निर्देशों की अनदेखी को उजागर कर दिया। अन्य बड़ी समस्या निरीक्षण के दौरान सामने आई-
प्री-प्राइमरी कक्षाओं के बच्चों के लिए आया या सहायक उपलब्ध नहीं थे
नर्सरी और केजी के बच्चों को हाथ धुलवाने, भोजन कराने, शौचालय ले जाने जैसे बुनियादी कामों में कोई सहायता नहीं मिल रही थी।
खाद्य आयोग ने साफ कहा कि इस उम्र के बच्चों की देखभाल के लिए आया अनिवार्य है, लेकिन प्री-प्राइमरी स्कूलों में यह सुविधा बिल्कुल नहीं है। डॉ. कत्याल ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में सहायिका उपलब्ध होती है, लेकिन सरकारी प्री-प्राइमरी स्कूलों में इस व्यवस्था की भारी कमी है। उन्होंने कहा कि यह एक व्यवस्थागत खामी है, और इसे सरकार के ध्यान में लाया जाएगा।
स्कूल के पास नहीं था रिकॉर्ड
निरीक्षण के दौरान खाद्य आयोग की टीम ने जब स्कूल प्रबंधन से मिड-डे मील के लिए खरीदी जाने वाली सामग्री का रिकॉर्ड मांगा, तो बताया गया कि उच्च स्तर से लिखित निर्देश हैं कि खरीद का रिकॉर्ड रखना आवश्यक नहीं है। इस पर अध्यक्ष डॉ. कत्याल ने हैरानी जताई और इसे बेहद गंभीर बताया।
स्कूल से मांगा जवाब
उन्होंने कहा कि बिना रिकॉर्ड के खरीद की पारदर्शिता, खाद्य सामग्री की गुणवत्ता और खर्च की निगरानी संभव ही नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि इस निर्देश की जांच करवाई जाएगी और सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
सरकार को भेजी जाएगी रिपोर्ट
राज्य खाद्य आयोग जल्द ही इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट सरकार को भेजेगा। आयोग ने स्थानीय शिक्षा अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि-
मिड-डे मील पोषण मानकों के अनुसार तैयार हो,
भोजन से पहले बच्चों को ठीक से हाथ धुलवाए जाएं,
खाद्य सामग्री की गुणवत्ता और स्वच्छता पर नियमित निगरानी रखी जाए प्री-प्राइमरी बच्चों के लिए आया की नियुक्ति तत्काल की जाए।
