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बिलासपुर: शिक्षिका से सफल डेयरी उद्यमी बनी सोनिका, हर माह कमा रही हैं हजारों रुपए, जानिए सफलता की कहानी

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शिमला/बिलासपुर, 2 नवम्बर। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की दूरदर्शी सोच और सशक्त नेतृत्व के कारण हिमाचल प्रदेश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में सरकार ने दूध उत्पादकों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति लागू कर ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस नीति से न केवल किसानों की आमदनी बढ़ी है, बल्कि शिक्षित युवा और महिलाएं भी डेयरी फार्मिंग से जुड़कर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रही हैं।

इसी कड़ी में जिला बिलासपुर के घुमारवीं क्षेत्र की ग्राम पंचायत घुमारवीं के गांव चुवाड़ी की शिक्षिका सोनिका ने डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में सफलता की नई मिसाल पेश की है। निजी मिनर्वा सीनियर सेकेंडरी स्कूल, घुमारवीं में टीजीटी साइंस के रूप में कार्यरत सोनिका शिक्षा के साथ-साथ डेयरी व्यवसाय से आर्थिक स्वावलंबन की प्रेरक कहानी लिख रही हैं।

सोनिका ने वर्ष 2019 में डेयरी फार्मिंग की शुरुआत केवल एक जर्सी गाय से की थी। आज उनके पास छह गायें और एक हीफर हैं। वह अपने डेयरी फार्म को पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति से चला रही हैं। आधुनिक मिल्किंग मशीन से दुहन, चाफ कटर मशीन से हरे चारे की कटाई और समय-समय पर पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों से परामर्श ये सब सोनिका की सफलता के प्रमुख सूत्र हैं।

सोनिका के डेयरी फार्म से प्रतिदिन 57 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। 65 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचने पर उनकी मासिक आय करीब ₹1.10 लाख होती है। खर्चों को निकालने के बाद वह ₹74 हजार रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित कर रही हैं। उन्होंने बताया कि यह कार्य सुबह और शाम केवल एक-एक घंटे का होता है, जिसे नौकरीपेशा महिलाएं भी आसानी से कर सकती हैं।

सोनिका का कहना है कि “यदि कोई महिला या युवा एक-दो गायों से भी शुरुआत करें, तो वह आर्थिक रूप से सशक्त बन सकता है। यह कार्य मेहनत से अधिक स्मार्ट वर्क की मांग करता है।” उन्होंने प्रदेश सरकार का आभार जताते हुए कहा कि गाय के दूध का समर्थन मूल्य ₹51 और भैंस का ₹61 प्रति लीटर तय होने से पशुपालकों की आय में बड़ी वृद्धि हुई है।

सहायक निदेशक पशुपालन विभाग डॉ. किशोरी लाल शर्मा ने बताया कि सरकार डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए किसानों को अनेक प्रोत्साहन दे रही है। पंजीकृत दुग्ध उत्पादक समितियों को दूध बेचने पर ₹3 प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, साथ ही दूध खरीद केंद्र तक दो किलोमीटर से अधिक दूरी तक स्वयं दूध पहुंचाने वालों को ₹2 प्रति लीटर उपदान भी मिलता है।

जिला में 15 नई दुग्ध उत्पादक समितियों का गठन किया गया है और 40 समितियां पहले से कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि कांगड़ा के ढगवार दूध प्रसंस्करण संयंत्र से बिलासपुर के किसान भी लाभान्वित होंगे।

उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों और बागवानों के उत्थान के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। उन्होंने अधिक से अधिक किसानों से डेयरी फार्मिंग से जुड़कर अपनी आर्थिकी मजबूत करने का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री सुक्खू की नीति ने जहां पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा दी है, वहीं सोनिका जैसी प्रेरक कहानियां प्रदेश में नए आत्मनिर्भर हिमाचल की तस्वीर पेश कर रही हैं।

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