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शिमला, 24 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनावों की तैयारियों के बीच मतदाता सूची तैयार करने में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। मंडी और चंबा जिलों की कुछ ग्राम पंचायतों में वर्ष 2025 की बजाय 2022 के आधार पर मतदाता सूचियां तैयार की गईं, जिससे राज्य निर्वाचन आयोग ने कड़ा संज्ञान लिया है। आयोग ने इस लापरवाही को अपने निर्देशों की भावना के विपरीत बताते हुए कड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में सात पंचायत सचिवों, एक पंचायत निरीक्षक और एक उप पंचायत निरीक्षक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जबकि दो खंड विकास अधिकारियों (बीडीओ) को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग ने यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 243 (के) और हिमाचल प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1994 की धारा 160 (ई) के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए की है। निलंबित अधिकारियों-कर्मचारियों में बलविंदर सिंह उप पंचायत निरीक्षक विकास खंड भरमौर, नीना देवी पंचायत सचिव ग्राम पंचायत औरा भरमौर, गौरव कुमार पंचायत सचिव ग्राम पंचायत बजोल भरमौर, राकेश कुमार पंचायत सचिव ग्राम पंचायत होली भरमौर, आशीष कुमार पंचायत निरीक्षक विकास खंड निहरी, टेक चंद पंचायत सचिव ग्राम पंचायत झुंगी निहरी, ठाकुर दास पंचायत सचिव ग्राम पंचायत बेहली (ड्रमट) निहरी, इंद्र सिंह पंचायत सचिव ग्राम पंचायत बोई निहरी और पवन कुमार पंचायत सचिव ग्राम पंचायत शिंगल निहरी शामिल हैं। आयोग ने आदेश दिया है कि निलंबन अवधि के दौरान इन अधिकारियों का मुख्यालय उनके संबंधित जिला पंचायत अधिकारी के कार्यालय में रहेगा।
इस मामले की जांच के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने दो अधिकारियों को नियुक्त किया है। विकास खंड भरमौर से संबंधित मामलों की जांच अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट भरमौर करेंगे, जबकि विकास खंड निहरी के मामलों की जांच उप-मंडलीय अधिकारी सुंदरनगर जिला मंडी को सौंपी गई है। आयोग ने निर्देश दिया है कि दोनों अधिकारी अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट शीघ्र आयोग को प्रस्तुत करें।
जानकारी के अनुसार, राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत सचिवों को निर्देश दिया था कि मतदाता सूची के संभावित प्रारूप को ग्राम सभा की बैठक में पेश किया जाए ताकि मतदाताओं की जानकारी का सत्यापन किया जा सके। लेकिन निलंबित किए गए अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया और 2025 के बजाय 2022 की पुरानी मतदाता सूची आयोग को भेज दी। इस लापरवाही का खुलासा होने पर आयोग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया और दो बीडीओ को कारण बताओ नोटिस जारी किए। आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची से जुड़ी किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता से जुड़ा मामला है।
