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नई दिल्ली, 30 अक्टूबर। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने गुरुवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट कर हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति को देखते हुए इस वित्त वर्ष की शेष अवधि के लिए राज्य की ऋण सीमा में दो प्रतिशत वृद्धि करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के निरंतर प्रयासों से राजस्व में वृद्धि हो रही है, लेकिन राजस्व घाटा अनुदान में लगातार कमी और बीते तीन वर्षों से आई प्राकृतिक आपदाओं के चलते राज्य की आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है।
उन्होंने बताया कि 15वें वित्त आयोग की अवधि में हिमाचल को मिलने वाले राजस्व घाटा अनुदान में बड़ी कमी आई है — वर्ष 2020-21 में यह राशि 10,249 करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2025-26 में घटकर केवल 3,257 करोड़ रुपये रह गई है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में प्रदेश को प्राकृतिक आपदाओं के कारण लगभग 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और इस दौरान 1,321 लोगों की जान गई है। इससे प्रदेश के संसाधनों और श्रम शक्ति दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (GST) दरों के युक्तिकरण से कर आधार में कमी आई है, जिससे हिमाचल की वित्तीय स्थिति और कमजोर हुई है।
मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री से आग्रह किया कि राज्य की कठिन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हिमाचल को विशेष वित्तीय सहायता और अतिरिक्त अनुदान प्रदान किए जाएं। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा वित्तीय सुधारों और संसाधन वृद्धि के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी दी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि हिमाचल प्रदेश की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य को विशेष केन्द्रीय सहायता के तहत अतिरिक्त सहायता देने और बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं — विशेषकर स्वास्थ्य क्षेत्र की योजनाओं — के लिए अतिरिक्त स्वीकृति पर भी विचार किया जाएगा।
