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नेशनल डेस्क। कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट पर हुए कथित ‘वोट चोरी’ के मामले में बड़ा खेल सामने आया है। विशेष जांच दल (SIT) को जांच में ऐसे पुख्ता सबूत मिले हैं जिनसे पता चला है कि वोटरों के नाम डिलीट करने के लिए बाकायदा पैसों का लेनदेन किया गया था।
सूत्रों के मुताबिक, आलंद सीट पर हर एक वोटर का नाम डिलीट करने के लिए 80 रुपए का भुगतान किया गया। SIT की जांच में यह भी सामने आया है कि 6,018 वोटरों के नाम फर्जी आवेदन के जरिए डिलीट करवाए गए, जिसके लिए करीब 4.8 लाख रुपए का भुगतान हुआ।
जांच एजेंसी ने पाया कि वोटरों के नाम डिलीट करने के ये फर्जी आवेदन कलबुर्गी के एक डेटा ऑपरेटिंग सेंटर से भेजे गए थे। इस सेंटर से जुड़ी गतिविधियों की गहन जांच जारी है।इससे पहले कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आलंद विधानसभा क्षेत्र में ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठाया था। उनके खुलासे के बाद ही SIT ने इस पूरे मामले की जांच शुरू की थी।
जांच के दौरान SIT ने BJP नेता सुभाष गुट्टेदार, उनके बेटों और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में 7 लैपटॉप, कई मोबाइल फोन और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि यह सिर्फ एक सीट का मामला नहीं है BJP ने सिस्टमैटिक तरीके से कई इलाकों में ‘वोट चोरी’ की साजिश रची है। पार्टी ने कहा कि यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जहां गरीबों और वंचितों की आवाज को दबाया जा रहा है।
