न्यूज अपडेट्स
शिमला/धर्मशाला, 23 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश की सियासत एक बार फिर बयानबाज़ी की आग में झुलसती नज़र आ रही है। धर्मशाला से भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को सोशल मीडिया पोस्ट में कार्टून कहकर न सिर्फ नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है, बल्कि खुद को भी ट्रोल्स और आलोचनाओं के घेरे में ला खड़ा किया है।
सीएम सुक्खू को कार्टून कह फंस गए सुधीर शर्मा
सुधीर शर्मा ने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर सीएम सुक्खू की एक तस्वीर और उसका स्केच साझा करते हुए लिखा- "प्रदेश के इतिहास में पहली बार "कार्टून का स्केच"
यह पोस्ट देखते ही देखते वायरल हो गई और सोशल मीडिया पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं। कई यूज़र्स ने इसे मुख्यमंत्री का अपमान बताते हुए विधायक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग तक कर डाली।
फेसबुक और एक्स (पूर्व ट्विटर) पर बड़ी संख्या में लोगों ने सुधीर शर्मा की पोस्ट को अनुचित करार दिया। कपिल शर्मा नाम के एक यूज़र ने लिखा - क्या किसी जनप्रतिनिधि को राज्य के मुख्यमंत्री के लिए ऐसे शब्द कहना शोभा देता है ? यह न केवल असंवेदनशीलता है, बल्कि प्रदेश की राजनीति को गिराने वाला कदम है। एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
इसी तरह विजय भट्टी नाम के एक अन्य यूज़र ने सुधीर शर्मा को नसीहत दी कि आपको किसी भी व्यक्ति या नेता का मज़ाक उड़ाने का अधिकार नहीं है। वह नेता बाद में हैं, पहले एक पिता और परिवार के सदस्य हैं। ज़रा सोचिए, उनके बच्चों को यह सब देखकर कैसा लगेगा।
इस पोस्ट के बाद राजनीतिक हलकों में एक बार फिर ऑपरेशन लोटस का ज़िक्र तेज़ हो गया है। अशोक नेगी नाम के यूज़र ने सुधीर शर्मा को ऑपरेशन लोटस का कर्णधार और मास्टरमाइंड बताया। दरअसल, सुधीर शर्मा वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे, परंतु मंत्री पद न मिलने से वे नाराज़ चल रहे थे।
राज्यसभा चुनाव में छह कांग्रेस विधायक और तीन निर्दलीयों ने बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट डाला, जिसके बाद ये छह विधायक दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहरा दिए गए। बाद में मई 2024 में हुए उपचुनाव में सुधीर शर्मा ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसी के बाद से कांग्रेस समर्थक लगातार उन्हें ऑपरेशन लोटस से जोड़ते रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं ने सुधीर शर्मा के बयान को गंभीर असंवैधानिक आचरण बताया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जल्द ही इस मामले को विधानसभा स्पीकर और राज्यपाल के संज्ञान में लाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी की ओर से आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह विधायक की निजी टिप्पणी है और पार्टी इससे खुद को अलग मानती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुधीर शर्मा का यह बयान न सिर्फ उनकी राजनीतिक छवि पर असर डालेगा, बल्कि हिमाचल की सभ्य राजनीतिक परंपरा पर भी सवाल खड़ा करता है। शिमला विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान विभाग के एक प्राध्यापक ने कहा - हिमाचल की राजनीति अब तक संयम और मर्यादा के लिए जानी जाती थी। व्यक्तिगत कटाक्ष इस परंपरा के विपरीत हैं। यह घटना आने वाले समय में राजनीतिक शालीनता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
