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दिल्ली, 06 अक्टूबर। सोमवार सुबह सुप्रीम कोर्ट में एक बुजुर्ग वकील ने मुख्य न्यायाधीश गवई की तरफ जूता फेंकने का प्रयास किया। इस घटना के बाद कोर्ट रूम में कुछ देर के लिए हड़कंप मच गया, लेकिन सीजेआई गवई पूरी तरह से अविचलित रहे। उन्होंने कहा कि ऐसी चीजें उन्हें प्रभावित नहीं करतीं। जूता फेंकने वाले वकील की पहचान राकेश किशोर के रूप में हुई है, जो मयूर विहार इलाके के रहने वाले और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य हैं। घटना के बाद उन्हें सुरक्षा कर्मियों ने हिरासत में ले लिया।
यह घटना सुप्रीम कोर्ट के क अदालत नंबर 1 में सुबह लगभग 11:35 बजे तब हुई, जब सीजेआई गवई ने मामलों की सुनवाई शुरू ही की थी। राकेश किशोर ने वकीलों की वेशभूषा पहन रखी थी। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पहुंचकर अपना जूता निकाला और उनकी तरफ फेंकने का प्रयास किया। तुरंत ही कोर्टरूम में मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोक दिया और बाहर ले गए। जूता न्यायाधीश तक नहीं पहुंच पाया।
सुरक्षा कर्मियों द्वारा बाहर ले जाते समय वकील राकेश किशोर जोर-जोर से नारे लगा रहे थे। उनके नारे थे ‘सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान’। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि उनके इस कदम के पीछे सीजेआई गवई का एक टिप्पणी है, जो खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की बहाली के एक याचिका की सुनवाई के दौरान आई थी। वकील इस टिप्पणी से नाराज थे।
सीजेआई गवई ने पिछले महीने 16 सितंबर को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की थी। यह याचिका मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर परिसर में स्थित जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की एक सात फुट ऊंची दशहरी मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुन: स्थापना की मांग कर रही थी। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।
याचिका को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा था, “यह विशुद्ध रूप से प्रचार हित याचिका है। जाओ और स्वयं देवता से कुछ करने के लिए कहो। अगर तुम कह रहे हो कि तुम भगवान विष्णु के सच्चे भक्त हो, तो तुम प्रार्थना करो और कुछ ध्यान लगाओ।” इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर काफी विवाद पैदा किया था, जिसके बाद सीजेआई गवई ने बाद में स्पष्टीकरण दिया था।
विवाद बढ़ने के बाद सीजेआई गवई ने खुले कोर्ट में अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। उन्होंने जोर देकर कहा, “मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।” उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर एक अलग संदर्भ में पेश किया गया। उनके अनुसार मामला वास्तव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकार क्षेत्र का था।
हालांकि, यह स्पष्टीकरण वकील राकेश किशोर को मान्य नहीं लगा। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि राकेश किशोर के पास एक कागज भी था, जिस पर उन्होंने ‘सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ लिखा हुआ था। घटना के बाद उन्हें लगभग तीन घंटे तक पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया, लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया।
इस पूरी घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकील राकेश किशोर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव रोहित पांडे ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि अगर किसी वकील ने कोर्ट के अंदर हमला करने का प्रयास किया है, तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी सख्त निंदा होनी चाहिए।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के साथ समन्वय करने के बाद ही आगे की कानूनी कार्रवाई का रास्ता तय होगा। घटना के समय सीजेआई गवाई के साथ न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ मामलों की सुनवाई कर रही थी। सुरक्षा कर्मियों द्वारा वकील को बाहर ले जाने के बाद कोर्ट ने शांति पूर्वक कार्यवाही जारी रखी।
मुख्य न्यायाधीश गवई के शांत और संयमित रवैये की कई वकीलों ने सराहना की। उन्होंने घटना के तुरंत बाद कोर्ट में मौजूद वकीलों से कहा, “इस सब से विचलित न हों। हम विचलित नहीं हुए हैं। ऐसी चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं।” इसके बाद कोर्ट की कार्यवाही सामान्य रूप से जारी रही। सीजेआई गवई को जेड प्लस सुरक्षा कवच प्राप्त है, जो दिल्ली पुलिस की सुरक्षा शाखा द्वारा प्रदान किया जाता है।
