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शिमला, 17 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश में हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर वेतन और पेंशन नहीं मिलने से नाराजगी का माहौल बना हुआ है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने निगम की कार्यप्रणाली पर सख्त रुख अपनाते हुए बड़े और साहसिक फैसलों के संकेत दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि एचआरटीसी में अधिकारियों की भारी-भरकम फौज के युक्तिकरण (रैशनलाइजेशन) की आवश्यकता है, ताकि निगम की आर्थिक स्थिति सुधारी जा सके और कर्मचारियों को समय पर वेतन व पेंशन मिल सके। उन्होंने कहा कि अब निगम में सुधार के लिए कठोर कदम उठाने की घड़ी आ गई है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि वर्तमान में एचआरटीसी 100 प्रतिशत घाटे में चल रही है और सरकार को हर साल लगभग 750 करोड़ रुपये की सहायता देनी पड़ रही है। इस वर्ष भी सरकार ने 720 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद निगम को दी है, जिससे लंबित देनदारियों को निपटाया जा सके। उन्होंने यह भी माना कि पेंशनरों को हर महीने की पहली तारीख को ही पेंशन मिलनी चाहिए और इस पर जल्द उपमुख्यमंत्री के साथ चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि एचआरटीसी में फील्ड स्टाफ जैसे ड्राइवर, कंडक्टर और मैकेनिक की तुलना में ऊपरी स्तर पर अफसरों की संख्या कहीं अधिक है, जिससे निगम पर अनावश्यक बोझ बढ़ रहा है। इसे बदलना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक एचआरटीसी के ढांचे में सुधार नहीं होगा, तब तक वेतन और पेंशन की समस्याएं बनी रहेंगी।
सुक्खू ने बताया कि हाल ही में आई प्राकृतिक आपदाओं के कारण निगम का संचालन दो माह तक लगभग ठप रहा, जिससे आय पर बुरा असर पड़ा। इसके बावजूद सरकार ने निगम की आर्थिक मदद की है। उन्होंने कहा कि 3000 बसों का संचालन कोई असंभव कार्य नहीं है, लेकिन इसके लिए कुशल प्रबंधन और जवाबदेही जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने महिलाओं को दी जा रही 50 प्रतिशत किराया सब्सिडी पर सवाल उठाने वाले कुछ अधिकारियों पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि सरकार जनता को राहत देने के लिए सब्सिडी देती है, इसे घाटे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि प्रबंधन को नए समाधान खोजने चाहिए।
