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सोलन, 05 अक्टूबर। स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल के गृह जिला सोलन से स्वास्थ्य सेवाओं की बेहद चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में बीते करीब 15 दिनों से मरीजों को X-RAY रिपोर्ट फिल्म पर नहीं दी जा रही, बल्कि तकनीशियन कंप्यूटर स्क्रीन पर इमेज दिखाकर मरीजों से कहते हैं—“मोबाइल से फोटो ले लो।”
जानकारी के अनुसार, सोलन क्षेत्रीय अस्पताल में X-RAY सेवाएं क्रस्ना कंपनी द्वारा संचालित की जा रही हैं। कंपनी की जिम्मेदारी X-RAY करने से लेकर फिल्म पर रिपोर्ट देने तक की है, लेकिन बीते 15 दिनों से उसने फिल्म की आपूर्ति बंद कर दी है। नतीजतन मरीज और डॉक्टर दोनों असुविधा झेल रहे हैं।
अस्पताल में यह अजीब स्थिति बन गई है कि जिन मरीजों के पास स्मार्टफोन नहीं है, उन्हें रिपोर्ट ही नहीं मिल पा रही। कई मरीज धुंधली मोबाइल तस्वीरों के सहारे डॉक्टरों को रिपोर्ट दिखाकर इलाज करवाने को मजबूर हैं। डॉक्टर भी मानते हैं कि मोबाइल पर ली गई तस्वीरों में X-RAY की बारीकियां स्पष्ट नहीं दिखतीं, जिससे सटीक इलाज करना मुश्किल हो जाता है।
अस्पताल के एमएस डॉ. राकेश पंवर ने इस लापरवाही पर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने बताया कि कंपनी को नोटिस जारी किया गया है और स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को पत्र लिखकर कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने की सिफारिश की गई है। डॉ. पंवर ने यह भी कहा कि राज्य के अन्य जिलों में यही कंपनी फिल्म पर रिपोर्ट दे रही है, ऐसे में सोलन में सप्लाई रोकना चौंकाने वाला है।
सूत्रों का कहना है कि क्रस्ना कंपनी को कई महीनों से विभागीय भुगतान नहीं मिला, जिसके चलते उसने फिल्म की आपूर्ति रोक दी। अगर यह सच है, तो यह विभागीय तंत्र की विफलता है। वहीं अगर कंपनी ने अनुबंध का उल्लंघन किया है, तो कार्रवाई तय है।
अस्पताल में इलाज करवाने आने वाले मरीजों का कहना है कि बिना फिल्म के रिपोर्ट डॉक्टर को दिखाना मुश्किल हो जाता है। कई बार उन्हें दोबारा X-RAY करवाना पड़ता है। डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह की व्यवस्था से इलाज की गुणवत्ता पर असर पड़ता है और गलत निदान का खतरा बढ़ जाता है।
सोलन अस्पताल का यह मामला न केवल स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह दिखाता है कि लापरवाही और प्रशासनिक सुस्ती की कीमत आखिरकार आम जनता को ही चुकानी पड़ती है।
