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बिलासपुर, 5 अक्टूबर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग की ओपीडी अब तक शुरू नहीं हो पाई है। इससे पेट और पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सक न होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए दूसरे राज्यों, खासकर एम्स दिल्ली का रुख करना पड़ रहा है।
वर्तमान में एम्स बिलासपुर में मेडिसिन विभाग के डॉक्टर ही पेट संबंधी रोगियों की प्राथमिक जांच कर रहे हैं। लेकिन जटिल मामलों में मरीजों को सीधे एम्स दिल्ली रेफर कर दिया जाता है। इससे मरीजों पर यात्रा का खर्च और समय दोनों का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
रेफरल मैकेनिज्म से राहत, पर यात्रा बनी चुनौती
मरीजों की असुविधा को देखते हुए एम्स बिलासपुर प्रबंधन ने एक विशेष रेफरल प्रणाली शुरू की है। इसके तहत यहां से रेफर किए गए मरीजों को एम्स दिल्ली में प्राथमिकता के आधार पर भर्ती किया जाता है। साथ ही मरीज के साथ जाने वाले एक तीमारदार को गैस्ट हाउस में ठहरने की सुविधा भी दी जाती है। हालांकि, यह व्यवस्था मरीजों के लिए सहूलियत तो देती है, लेकिन लंबी यात्रा और खर्च अभी भी बड़ी चुनौती है।
जल्द शुरू होगी ओपीडी : चिकित्सा अधीक्षक
एम्स बिलासपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिनेश वर्मा ने बताया कि गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी ओपीडी शुरू करने के लिए काम तेज़ी से चल रहा है। उन्होंने कहा, “हमारी पूरी कोशिश है कि यह सुविधा जल्द से जल्द शुरू की जाए। ओपीडी शुरू होने के बाद प्रदेश के मरीजों को बाहर नहीं जाना पड़ेगा और राज्य में ही आधुनिक जांच व उपचार की सुविधा मिलेगी।”
गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी चिकित्सा की अहम शाखा
गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी चिकित्सा की वह शाखा है जो पेट, आंत, लिवर, पित्ताशय और अग्नाशय से संबंधित बीमारियों का इलाज करती है। गैस, एसिडिटी, अल्सर, लीवर विकार और आंतों के संक्रमण जैसे रोगों से पीड़ित मरीजों को इस ओपीडी के शुरू होने का बेसब्री से इंतजार है।
