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शिमला, 05 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के रोनहाट स्कूल से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्कूल की ओर से जारी एक चेक में हुई अंग्रेजी स्पेलिंग की शर्मनाक गलतियों ने पूरे विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया। मामला सोशल मीडिया पर वायरल होते ही शिक्षा विभाग हरकत में आया और जिम्मेदार पाए गए स्कूल के ड्राइंग मास्टर अत्तर सिंह को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, स्कूल के प्रिंसिपल कुलदीप सिंह के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
चेक पर लिखा – “Saven Thursday Six Harendra Sixty”
मामला 25 सितंबर का है, जब स्कूल प्रबंधन की ओर से मिड-डे मील इंचार्ज अत्तर सिंह के नाम ₹7,616 का चेक जारी किया गया। हालांकि, चेक में राशि अंकों में तो सही थी, लेकिन शब्दों में इतनी गलतियां थीं कि बैंक ने उसे ‘अनरीडेबल’ बताकर बाउंस कर दिया। सही वाक्य “Seven Thousand Six Hundred and Sixteen” की जगह चेक में लिखा गया – “Saven Thursday Six Harendra Sixty।” स्पेलिंग और शब्द चयन की ये गलतियां इतनी गंभीर थीं कि मामला हास्यास्पद बन गया।
जब यह चेक सोशल मीडिया पर पहुंचा तो कुछ ही घंटों में वायरल हो गया। लोगों ने इसे प्रदेश की “100% साक्षरता के दावे” पर करारा व्यंग्य बताया। कई यूजर्स ने लिखा कि अगर शिक्षकों का यह हाल है तो बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता पर भरोसा करना कठिन है।
सोशल मीडिया पर मामला वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग ने तत्काल जांच के आदेश दिए। डिप्टी डायरेक्टर सिरमौर से रिपोर्ट तलब की गई और फिर शिक्षा निदेशालय शिमला ने ड्राइंग मास्टर अत्तर सिंह और प्रिंसिपल दोनों को स्पष्टीकरण देने का मौका दिया।
अत्तर सिंह ने अपनी गलती स्वीकार की और कहा कि उसने लापरवाही में स्पेलिंग की जांच नहीं की। इसके बाद निदेशक (प्राथमिक शिक्षा) आशीष कोहली ने अत्तर सिंह को तुरंत निलंबित करने और प्रिंसिपल के खिलाफ भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
स्कूल प्रिंसिपल कुलदीप सिंह ने सफाई देते हुए कहा,
चेक मिड-डे मील इंचार्ज ने भरा था। व्यस्तता के चलते मैंने केवल अंकों में राशि देखी और हस्ताक्षर कर दिए। स्पेलिंग पर ध्यान नहीं गया। बैंक ने तुरंत चेक लौटा दिया और बाद में नया चेक जारी कर दिया गया।
शिक्षा विभाग की साख पर धब्बा
यह घटना न केवल रोनहाट स्कूल बल्कि पूरे प्रदेश के शिक्षा विभाग की साख पर सवाल उठाती है। एक ओर हिमाचल सरकार साक्षरता दर में अग्रणी राज्य होने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की लापरवाहियां शिक्षण व्यवस्था की विश्वसनीयता पर गहरा प्रहार कर रही हैं।
