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शिमला, 13 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में आज एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया गया। यह अनावरण कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
कार्यक्रम के दौरान वीरभद्र सिंह के व्यक्तित्व और सियासी सफर को याद किया गया। इसी बीच उनके एक मशहूर किस्से का जिक्र भी हुआ, जिसने कभी विपक्ष तक का दिल जीत लिया था।
यह किस्सा वर्ष 2014 का है। कांग्रेस की करारी हार के बाद हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा था। इसी दौरान विपक्ष के एक विधायक ने सदन में तंज कसते हुए ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाया। पूरे सदन में कुछ क्षणों के लिए सन्नाटा छा गया। तभी वीरभद्र सिंह मुस्कुराए, अपनी सीट से खड़े हुए और हाथ जोड़कर बोले — “जय हनुमान।” उनके इस जवाब पर पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा और विपक्षी विधायक भी मुस्कुराए बिना नहीं रह सके।
वीरभद्र सिंह धर्म और आस्था के मामलों में बेहद स्पष्ट विचार रखते थे। वे देश के पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया। वे मानते थे कि धर्मांतरण पर रोक लगनी चाहिए और अयोध्या में **राम मंदिर** का निर्माण समाज में धार्मिक समरसता के लिए आवश्यक है।
वीरभद्र सिंह ने 1983 से 2017 तक के राजनीतिक सफर में छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने सड़कों, शिक्षा संस्थानों, स्वास्थ्य सेवाओं और ग्रामीण विकास योजनाओं को नई दिशा दी।
वीरभद्र सिंह न केवल कांग्रेस के शीर्ष नेता थे बल्कि उन्हें हिमाचल की राजनीति का शिल्पकार कहा जाता है। दिलचस्प बात यह रही कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अच्छे संबंध थे।
आज शिमला के रिज मैदान पर जब उनकी प्रतिमा का अनावरण हुआ तो लोगों ने कहा — “वीरभद्र सिंह भले आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका काम और व्यक्तित्व हमेशा याद रहेगा।"