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शिमला, 17 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश में सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी आज विभिन्न जिलों में सड़कों पर उतर आए। अपनी लंबित वित्तीय मांगों को लेकर पेंशनरों ने हिमाचल संयुक्त पेंशनर संघर्ष समिति के बैनर तले राज्यभर में विरोध प्रदर्शन किया। राजधानी शिमला में पेंशनरों ने डीसी ऑफिस के बाहर जोरदार प्रदर्शन करते हुए ‘डीए चोर, गद्दी छोड़’ जैसे नारे लगाए।
पेंशनरों ने आरोप लगाया कि सरकार लगातार उनके वित्तीय अधिकारों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें अब तक संशोधित कम्युटेशन, लीव इनकैशमेंट, ग्रेच्युटी, 16 प्रतिशत महंगाई भत्ता और पिछले दो वर्षों से लंबित मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं किया गया है। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए तो राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।
संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुरेश ठाकुर, महासचिव इंद्र पाल शर्मा, अतिरिक्त महासचिव भूप राम और मीडिया प्रमुख सैन राम नेगी ने कहा कि सरकार के साथ कई बार वार्ता हो चुकी है, लेकिन अब तक केवल आश्वासन मिले हैं, कार्रवाई नहीं। उनका कहना है कि सरकार आर्थिक संकट का हवाला देकर रिटायर कर्मचारियों के हक मार रही है।
प्रदेश में करीब 1.30 लाख पेंशनर हैं जो वर्षों की सेवा के बाद अब अपने हक के इंतजार में हैं। पेंशनरों का कहना है कि मेडिकल बिलों के भुगतान के लिए उन्हें महीनों तक विभागों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होती।
एचआरटीसी के पेंशनर पहले से ही दो दिनों से आंदोलन पर हैं, और अब अन्य विभागों के रिटायर कर्मचारी भी आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। समिति ने स्पष्ट किया है कि जब तक सभी लंबित लाभ नहीं मिलते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा घोषित 3 प्रतिशत डीए वृद्धि को लेकर भी पेंशनरों में नाराजगी है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2023 से 4 प्रतिशत डीए लागू किया था, जबकि राज्य सरकार ने सिर्फ 3 प्रतिशत घोषित किया है। इससे पेंशनरों में असंतोष और बढ़ गया है।
पेंशनरों ने साफ कहा है कि अब वे आश्वासनों से नहीं, ठोस निर्णयों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। सरकार ने यदि जल्द कार्रवाई नहीं की तो आने वाले दिनों में आंदोलन और उग्र हो सकता है।
