न्यूज अपडेट्स
शिमला, 09 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में आपदा से बिगड़े हालात को देखते हुए दिसंबर में प्रस्तावित पंचायत और नगर निकाय चुनावों को स्थगित करने का निर्णय लिया है। कार्यवाहक मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने इस संबंध में शिमला, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर के उपायुक्तों को पत्र जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि भारी मानसून और प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रदेश में जन-धन की भारी क्षति हुई है तथा कई क्षेत्रों में सड़क संपर्क और बुनियादी ढांचा अब तक बहाल नहीं हो पाया है।
मुख्य सचिव ने यह आदेश स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 24(ई) के तहत जारी किए हैं, जिसके अंतर्गत सरकार को प्राकृतिक आपदा की स्थिति में प्रशासनिक निर्णय स्थगित करने का अधिकार है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि जब तक सभी मार्गों और बुनियादी ढांचे की पूरी तरह से बहाली नहीं हो जाती, तब तक चुनाव कराना संभव नहीं है।
इससे पहले दिन में, कुछ जिलाधिकारियों द्वारा पंचायती राज सचिव को लिखे गए पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे, जिनमें चुनाव टालने की सिफारिश की गई थी। अब मुख्य सचिव का पत्र जारी होने के बाद यह साफ हो गया है कि राज्य सरकार फिलहाल चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है।
जिलाधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत राहत और पुनर्निर्माण कार्य जारी हैं। प्रशासनिक और विभागीय कर्मचारी आपदा राहत में लगे हैं, ऐसे में पंचायत चुनाव करवाना व्यावहारिक नहीं है।
दूसरी ओर, स्टेट इलेक्शन कमीशन ने नवंबर-दिसंबर में चुनाव करवाने की तैयारियां पहले ही शुरू कर दी थीं। वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट तैयार था और आरक्षण रोस्टर जारी किए जा चुके थे। लेकिन चुनाव संचालन के लिए 50 हजार से अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता है, जो फिलहाल राहत कार्यों में तैनात हैं।
प्रदेश में कुल 3577 पंचायतों और 71 नगर निकायों में चुनाव प्रस्तावित थे। पंचायत चुनाव में प्रधान, उपप्रधान, वार्ड मेंबर, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य की सीटों पर मतदान होना था, जबकि नगर निकाय चुनाव वार्ड पार्षदों के लिए प्रस्तावित थे।
पूर्व उद्योग मंत्री और भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “कांग्रेस सरकार ने चुनाव से पहले ही सरेंडर कर दिया है। यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है। आपदा का बहाना बनाकर जनता के बीच जाने से बचना सरकार की नाकामी को छिपाने का प्रयास है।”
उन्होंने कहा, “जब मुख्यमंत्री और मंत्री विदेश यात्राएं कर सकते हैं, सरकारी आयोजन और कुल्लू दशहरा जैसे उत्सव धूमधाम से मना सकते हैं, तो पंचायत चुनाव कराने में क्या दिक्कत है?”
जहां भाजपा ने इसे “जनता से भागने का कदम” बताया है, वहीं कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय मानवीय और व्यावहारिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर लिया गया है, ताकि आपदा राहत और पुनर्निर्माण कार्य प्रभावित न हों।
