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शिमला, 12 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश की मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार किसानों और पशुपालकों की आर्थिकी बढ़ाने की बात करती है, लेकिन धरातल पर सरकार की यह योजनााएं इसके विपरित हैं। जिसका खामियाजा दुग्ध उत्पादक भुगत रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में दुग्ध उत्पादकों की परेशानी बढ़ती जा रही है। पिछले दो महीने से किसानों और पशुपालकों को दूध का भुगतान नहीं मिला, जिससे उनके आर्थिक हालात बिगड़ गए हैं। छोटे और मध्यम वर्गीय किसान, जो अपनी आजीविका पूरी तरह दूध उत्पादन पर निर्भर करते हैं, भय और असमंजस में हैं।
किसान इस बात से निराश हैं कि सुक्खू सरकार जो किसानों के विकास और पशुपालकों की आर्थिकी बढ़ाने का दम भरती है, वह दुग्ध उत्पादकों की अनदेखी कर रही है। दुग्ध उत्पादक संघ का आरोप है कि दशहरा करवा चौथ और नवरात्र जैसे बड़े त्यौहार बीत गए, लेकिन किसानों की जेबें खाली रहीं और उन्हें सरकार की तरफ से कोई राहत नहीं मिली।
रामपुर बुशहर में दुग्ध उत्पादक संघ के संयोजक प्रेम चौहान ने कहा कि भारी महंगाई, चारा और पशुपालन की लागत बढ़ने के बावजूद आमदनी ठप हो गई है। पशु पालन पर खर्च बढ़ गया है, लेकिन दूध का भुगतान नहीं मिलने से किसान मजबूरी में दूध सप्लाई रोकने या पशु बेचने तक सोचने लगे हैं। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब योजनाओं और सब्सिडी की घोषणाएं की जाती हैं तो आखिर इसका असर जमीन पर क्यों नहीं दिखता। क्या किसानों की मेहनत का कोई मूल्य नहीं।
हिमाचल जैसे पहाड़ी प्रदेश में दुग्ध उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। छोटे किसान अपनी आजीविका पूरी तरह दूध उत्पादन पर आधारित रखते हैं। भुगतान में देरी ने न केवल उनके जीवन स्तर पर असर डाला है, बल्कि उनके विश्वास को भी झटका दिया है।
प्रेम चौहान ने कहा कि 14 अक्टूबर को सभी ब्लॉकों में एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा और यदि बकाया भुगतान नहीं किया गयाए तो 30 अक्टूबर को ब्लॉक स्तर पर बड़े प्रदर्शन किए जाएंगे। संघ ने साफ चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द भुगतान नहीं किया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। इस मौके पर संघ के अन्य सदस्य सुभाष ठाकुर, तुला राम शर्मा और दीप कनेन भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि यह समय सरकार के लिए भी परीक्षा है कि वह किसानों और पशुपालकों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में गंभीर है या नहीं।
