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रोहड़ू में दलित बच्चे की हत्या, ASI को सस्पेंड करने के आदेश जारी, पीड़ितों को मिलेगी सुरक्षा

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न्यूज अपडेट्स 
शिमला, 16 अक्टूबर। लिंमड़ा गांव में बच्चे के आत्महत्या के मामले में प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग ने मामले की जांच कर रहे एएसआई मंजीत को निलंबित करने के आदेश जारी किए हैं। आयोग एसडीपीओ रोहड़ू से भी इस पूरे मामले को लेकर जवाब मांगेगा।

बुधवार को आयोग के अध्यक्ष कुलदीप कुमार धीमान ने रोहड़ू रेस्ट हाऊस में नाबालिग बच्चे की मौत प्रकरण को लेकर स्थानीय प्रशासन से मामले की रिपोर्ट तलब की। आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि पुलिस ने मामले में अभी तक जांच को संतोषजनक नहीं पाया गया है। पुलिस की शुरुआती जांच में ही मामले में ढील बरतने की वजह से जांच प्रभावित हुई है। अध्यक्ष ने कहा कि शुरुआती मामले में जब 20 सितंबर को एफआईआर दर्ज की गई तो मामला अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम 1989 की धाराओं के साथ दर्ज नहीं किया गया।

मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी ने जांच को सही ढंग से नहीं किया, इसी वजह से आयोग ने विभिन्न पक्षों और तथ्यों के आधार पर मामले की जांच कर रहे पुलिस जांच अधिकारी एएसआई मंजीत को निलंबित करने के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही इस मामले में पुलिस जांच में एसडीपीओ रोहड़ू की कार्यप्रणाली भी संतोषजनक नहीं पाई गई है। इसलिए आयोग ने फैसला लिया है कि एसडीपीओ रोहड़ू से इस पूरे मामले को लेकर जवाब मांगा जाएगा। इसके साथ ही पीड़ित परिवार के सदस्यों सुरक्षा का खतरा बताया जिसको ध्यान में रखते हुए उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाने के निर्देश भी पुलिस को दिए गए हैं।

कुलदीप कुमार धीमान ने कहा कि इस मामले में पीड़ित परिवार की ओर से पुलिस को दी गई शिकायत में बच्चे के घर में प्रवेश करने पर अछूत बताने और घर की शुद्धि के लिए पिता से बकरे देने का जिक्र किया गया है। लेकिन पुलिस ने इस मामले अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम 1989 के तहत मामले को दर्ज करना उचित समझा ही नहीं गया। जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो उसके बाद अधिनियम की धाराओं के तहत मामले को दर्ज किया गया। इसके बावजूद भी पुलिस आरोपित महिला को गिरफ्तार ही नहीं कर पाई। उन्होंने कहा कि जब से यह मामला ध्यान में आया है तब से आयोग पूरे मामले पर निगरानी कर रहा है। 1 अक्तूबर को इस मामले को लेकर एसडीपीओ रोहड़ू से तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट तलब की गई थी। लेकिन उन्होंने रिपोर्ट निर्धारित समय में नहीं दी। 14 अक्तूबर को डीजीपी कार्यालय से आयोग को रिपोर्ट प्राप्त हुई है। आयोग के आदेशों पर स्थानीय पुलिस ने ढुलमुल रवैया अपनाया है। आयोग ने मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट ली और विभिन्न पहलुओं पर पूछताछ भी की।

इसके अतिरिक्त, पीड़ित परिवार के सदस्यों के साथ भी बैठक की। इसी दौरान उन्होंने पूरी घटना की विस्तृत जानकारी दी। इसके साथ ही परिवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से 4,12,500 रपये की वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है। आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि अनुसूचित आयोग का लक्ष्य दलित पिछड़े वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा करना है। समाज में जिन लोगों के अधिकारों का शोषण किया जाता है उन्हें न्याय दिलवाना आयोग का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू नजर बनाए हुए है और उन्होंने ही निर्देश दिए थे कि आयोग पीड़ित परिवार से मिले और हर संभव सहायता प्रदान करने में अपनी भूमिका निभाए। इस दौरान अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य विजय डोगरा, सदस्य दिग्विजय मल्होत्रा, एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) पंकज शर्मा, उप मंडलाधिकारी धर्मेश, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रतन नेगी, जिला कल्याण अधिकारी कपिल देव सहित पीड़ित परिवार के सदस्य, पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।

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