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मुख्यमंत्री सुक्खू बोले – पुरानी व्यवस्थाओं ने बिगाड़ी प्रदेश की अर्थव्यवस्था, बिजली बोर्ड में सुधार के लिए कड़े फैसले जरूरी

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शिमला, 16 अक्टूबर। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को शिमला के पीटरहॉफ में आयोजित हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने बिजली बोर्ड की वित्तीय स्थिति, कर्मचारियों की समस्याओं और प्रदेश की आर्थिक चुनौतियों पर खुलकर अपनी बात रखी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली बोर्ड आज घाटे में चल रहा है, जिसका मुख्य कारण अधिकारियों की अधिक संख्या और पूर्व सरकारों की अनदेखी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति के लिए पिछले 40 वर्षों से चली आ रही पुरानी व्यवस्थाएं जिम्मेदार हैं।

सुक्खू ने बताया कि वर्तमान सरकार ने कर्मचारियों को वित्तीय लाभ देने के लिए 2200 करोड़ रुपये जारी किए हैं। वर्ष 2023 से सितंबर 2025 तक पेंशनधारकों को ग्रेच्युटी, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, अवकाश नकदीकरण और पेंशन बकाया के रूप में 662.81 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जबकि इस वर्ष के अंत तक 70 करोड़ रुपये और जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब कर्मचारियों के मेडिकल बिल एक सप्ताह के भीतर क्लियर किए जा रहे हैं।

कर्मचारी यूनियन की मांगों को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने बोर्ड कार्यालय परिसरों में बैठकों पर लगी रोक को तत्काल हटाने के निर्देश दिए और कहा कि सरकार कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों की पक्षधर है। उन्होंने बिजली बोर्ड के दो पदाधिकारियों पर दर्ज चार्जशीट वापस लेने की घोषणा की और कहा कि रुकी हुई पदोन्नतियां तुरंत प्रभाव से लागू की जाएंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले पांच से छह महीने आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण रहेंगे, लेकिन इसके बाद हालात सुधरेंगे। उन्होंने बताया कि कई क्लास-वन अधिकारी अभी भी बिजली सब्सिडी का लाभ ले रहे हैं, जबकि यह सुविधा केवल जरूरतमंदों को ही दी जानी चाहिए। इसके लिए उन्होंने समाज से भी सहयोग की अपील की।

सुक्खू ने कहा कि किसी भी सरकार के लिए कड़े फैसले लेना आसान नहीं होता, लेकिन प्रदेश की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए यह जरूरी है। उन्होंने बताया कि पिछली भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनावों से पहले 600 शिक्षण संस्थान खोल दिए थे, जिन्हें आर्थिक विवशता के कारण बंद करना पड़ा।

उन्होंने यह भी खुलासा किया कि ऊहल प्रोजेक्ट से बिजली उत्पादन पर 27 रुपये प्रति यूनिट का खर्च आ रहा है, जबकि बिजली बोर्ड में कर्मचारियों पर प्रति यूनिट 2.50 रुपये का खर्च आता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बोर्ड बिजली उत्पादन और वितरण दोनों का कार्य करता था, लेकिन अब केवल वितरण तक सीमित रह गया है। पूर्व अधिकारियों की गलत नीतियों ने बोर्ड को घाटे की ओर धकेला।

उन्होंने दोहराया कि सरकार सख्त लेकिन आवश्यक कदम उठा रही है ताकि प्रदेश की वित्तीय स्थिति को मजबूत किया जा सके और आने वाले समय में आत्मनिर्भर हिमाचल का सपना साकार हो सके।

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