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शिमला, 05 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने केंद्र सरकार पर वित्तीय भेदभाव के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हिमाचल दौरे के दौरान 1500 करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की थी, लेकिन राज्य को अब तक एक पैसा भी नहीं मिला है।
मंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार केवल चुनावी राज्यों में मदद करती है और हिमाचल प्रदेश को लगातार नजरअंदाज किया गया है। प्रदेश के लोगों को यह समझना चाहिए कि केंद्र ने उनके साथ अन्याय किया है।
उन्होंने बताया कि रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में हिमाचल की हिस्सेदारी घटा दी गई, जबकि जीएसटी दरों में कटौती के बाद भी राज्य को नुकसान झेलना पड़ा। राज्य सरकार ने कई बार इन मुद्दों को केंद्र के समक्ष उठाया है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
नेगी ने बताया कि वर्ष 2023 की प्राकृतिक आपदा के दौरान हिमाचल को लगभग 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, लेकिन 2025 में केंद्र की ओर से किए गए पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट में मात्र 2006 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ, जिसमें से अब तक सिर्फ 500 करोड़ रुपये ही जारी किए गए हैं।
राजस्व मंत्री ने सेब सीजन को लेकर कहा कि इस वर्ष अब तक 2 करोड़ 60 लाख सेब पेटियां बाजार तक पहुंच चुकी हैं। मानसून के दौरान सड़कें टूटने के बावजूद सरकार ने सेब परिवहन व्यवस्था को सुचारू बनाए रखा।
उन्होंने बताया कि मंडी मध्यस्थता योजना के तहत अब तक 82 हजार मीट्रिक टन सेब की खरीद की जा चुकी है। इस योजना से बागवानों को सीधा लाभ मिल रहा है और उन्हें बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ रहा।
जगत सिंह नेगी के इन बयानों ने राज्य की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता झूठा प्रचार करते हैं और अपनी पीठ थपथपाने में लगे रहते हैं। केंद्र सरकार ने हिमाचल के साथ भेदभाव किया है, जिससे राज्य की विकास प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
राजस्व मंत्री ने दोहराया कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई 1500 करोड़ रुपये की घोषणा आज भी अधूरी है। “केंद्र से वास्तविक सहायता न मिलने के बावजूद राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से राहत और पुनर्वास कार्य पूरे किए हैं।
