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बिलासपुर, 09 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में बरठीं क्षेत्र के पास भल्लू में हुए हादसे में सेना के जवान के परिवार के चार सदस्यों की मौत ने हर किसी की आंखों को नम कर दिया। हादसे ने जहां एक पिता से दोनों बच्चे छीन लिए, वहीं, दो बच्चों से उनकी मां भी छीन ली। बरठीं अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद गांव फगोग में जैसे ही शव पहुंचे, सन्नाटा छा गया। ढाई घंटे बाद अंतिम विदाई दी गई। हादसे में फगोग गांव की अंजना कुमारी पत्नी विपिन कुमार, उनके दो बेटे नक्श (7) और आरव (4), विपिन के भाई राजकुमार की पत्नी कमलेश कुमारी की मौत हो गई।
पारिवारिक समारोह में लाैट रहा था परिवार, तभी हुआ हादसा
सभी रिश्तेदारी में एक पारिवारिक समारोह में शामिल होकर घर लौट रहे थे। दोनों का मायका एक ही गांव में है। वहीं एक समारोह में शिरकत करने गई थीं। अंजना के पति सेना में जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं। अंजना के पति विपिन कुमार और कमलेश के पति राजकुमार हादसे के समय काम पर थे। दोनों का कहना है कि उन्होंने कहा था कि वो घर जाने के लिए टैक्सी किराये पर ले लें। अगर उनके परिवार वाले टैक्सी में लौट आते तो शायद यह हादसा टल जाता। महिलाओं ने जिद की थी कि वह बस से ही जाएंगी।
बुधवार को जब एक ही परिवार की चार अर्थियां एक साथ उठीं, तो बरठीं, फगोग, और आसपास के गांवों का माहौल गमगीन हो गया। इस दर्दनाक हादसे में राजकुमार के दोनों बच्चे शौर्य और आयुषी दोनों जख्मी हुए हैं। उन्हें एम्स से छुट्टी दे दी गई। आठ वर्षीय शौर्य जख्मी हुआ था। जब वह अस्पताल से घर पहुंचा, तो वहां सैकड़ों लोगों का हुजूम था। घर में चार शवों के सामने वह नन्हा बच्चा स्तब्ध खड़ा था। परिवार के चारों सदस्यों के अंतिम संस्कार में शौर्य ने अपने हाथों से मां, ताई और दोनों भाइयों को मुखाग्नि दी। जब उसने चिताओं को आग दी, तो हर आंख नम थी। अंजना कुमारी के साथ छोटे बेटे आरव की चिता सजाई गई, जबकि बड़े बेटे नक्श और ताई कमलेश की चिता अलग सजाई गई थी। शौर्य ने सभी को अंतिम विदाई दी।
परिवार का बड़ा बेटा विपिन भारतीय सेना में तैनात है। जैसे ही हादसे की खबर उसे मिली, वह रातोंरात बरठीं अस्पताल पहुंच गया। लेकिन वहां जाकर जब उसे सच्चाई का पता चला, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। सुबह जब शव घर पहुंचे, तो सैकड़ों लोग उन्हें देखने के लिए उमड़ पड़े। विपिन ने कहा कि मेरे बच्चों की कमी अब कभी पूरी नहीं होगी। काश... मेरी पत्नी या भाभी में से कोई एक बच जाती, ताकि परिवार के जो बच्चे हादसे में बचे हैं उनको मां का प्यार मिलता।
राजकुमार भी अपनी पत्नी कमलेश के शव को देखकर बेसुध हो गए। दोनों भाइयों का रो-रो कर बुरा हाल था। हर कोई उन्हें ढांढस बंधा रहा था, लेकिन कोई शब्द उनके जख्मों पर मरहम नहीं रख पा रहा था। लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में इतना हृदयविदारक दृश्य पहले कभी नहीं देखा। एक साथ चार अर्थियां, चार चिताएं, और पूरा गांव विलाप में डूबा हुआ। श्मशान में सैकड़ों की भीड़ थी, लेकिन कोई बोल नहीं पा रहा था। बस आंखों से आंसू बह रहे थे।
