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सोलन, 28 अक्तूबर। बघाट अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक में जैसे-जैसे डिफाल्टरों पर शिकंजा कस रहा है, वैसे-वैसे कर्जदारों में हड़कंप मच गया है। गिरफ्तारी के आदेशों से बचने के लिए अब डिफाल्टर खुद ही बैंक पहुंचकर बकाया राशि जमा करवाने लगे हैं।
सोमवार को बैंक में दो डिफाल्टरों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कुल 14 लाख रुपए जमा करवाए, जबकि एक अन्य डिफाल्टर ने करीब 40 लाख रुपए बैंक में जमा करवा दिए। हालांकि, जिस डिफाल्टर ने 40 लाख रुपए जमा करवाए, उसके खिलाफ फिलहाल गिरफ्तारी के आदेश नहीं थे।
गौरतलब है कि बघाट बैंक के कुल 499 ऋण डिफाल्टरों ने बैंक की वित्तीय स्थिति को हिला कर रख दिया है। इन सभी द्वारा लिया गया कर्ज अब एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) की श्रेणी में चला गया है। एआरसीएस सोलन के पास इन 499 मामलों में से 147 डिफाल्टरों के खिलाफ रिकवरी के प्रकरण विचाराधीन हैं।
रिकवरी में सहयोग न करने वाले कई डिफाल्टरों के खिलाफ एआरसीएस की अदालत ने लैंड रैवेन्यू एक्ट, 1954 की धारा 75(ए) के तहत गिरफ्तारी के आदेश जारी किए हैं। इस कार्रवाई के बाद डिफाल्टरों में अफरातफरी मच गई है।
बैंक प्रबंधन के लिए छह महीनों में सभी 499 डिफाल्टरों से 138 करोड़ रुपए की रिकवरी करना आसान नहीं है। पिछले तीन वर्षों में बैंक ने सख्ती बरतते हुए अब तक 184 करोड़ रुपए की वसूली की है। मार्च 2022 में बैंक का एनपीए 322 करोड़ रुपए था, जो अब घटकर 138 करोड़ रह गया है।
बैंक के प्रबंध निदेशक राज कुमार ने बताया कि सोमवार को तीन डिफाल्टरों ने मिलकर 54 लाख रुपए जमा करवाए हैं। उन्होंने कहा कि बैंक रिकवरी अभियान को तेजी से आगे बढ़ा रहा है और जल्द ही शेष राशि भी वसूलने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
