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लेह हिंसा के लिए केंद्र सरकार ने सोनम वांगचुक को ठहराया जिम्मेदार, 4 की मौत 70 घायल

Anil Kashyap
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न्यूज अपडेट्स 
लद्दाख, 25 सितंबर। केंद्र सरकार ने लद्दाख की लेह में हुई हिंसक झड़पों के लिए सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। गृह मंत्रालय के अनुसार बुधवार को हुई इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और लगभग 70 लोग घायल हुए। मंत्रालय ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि वांगचुक ने भूख हड़ताल जारी रखकर युवाओं को भड़काया।

गृह मंत्रालय ने बताया कि सुबह हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद स्थिति पर शाम चार बजे तक काबू पा लिया गया। अधिकारियों ने मीडिया और सामाजिक प्लेटफार्मों से पुराने और भड़काऊ वीडियो प्रसारित न करने का अनुरोध किया। बयान में कहा गया कि सरकार लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपाय प्रदान करने को प्रतिबद्ध है।

भूख हड़ताल और मांगें

सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर को भूख हड़ताल शुरू की थी। उनकी मुख्य मांग लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की थी। गृह मंत्रालय ने दावा किया कि कई नेताओं द्वारा भूख हड़ताल वापस लेने का आग्रह किए जाने के बावजूद वांगचुक नहीं माने। सरकार का कहना है कि वह एपेक्स बॉडी लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ सक्रिय बातचीत कर रही है।

बातचीत प्रक्रिया के तहत उच्चाधिकार प्राप्त समिति और उप-समिति की कई बैठकें हो चुकी हैं। अगली औपचारिक बैठक छह अक्टूबर को निर्धारित की गई है। इसके अलावा 25 और 26 सितंबर को भी लद्दाख के नेताओं के साथ अनौपचारिक बैठकें आयोजित करने की योजना है। सरकार इन बैठकों को समाधान का मुख्य माध्यम बता रही है।

गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार 24 सितंबर की सुबह लगभग 11.30 बजे स्थिति बिगड़ी। भीड़ प्रदर्शन स्थल से निकली और एक राजनीतिक दल के कार्यालय पर हमला किया। भीड़ ने लेह के सीईसी के सरकारी कार्यालय को भी निशाना बनाया। हमलावरों ने इन कार्यालयों में आग लगा दी और पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया।

बेकाबू भीड़ ने सुरक्षाकर्मियों पर भी हमला किया। इस हमले में 30 से अधिक पुलिस और सीआरपीएफ कर्मी घायल हो गए। हिंसा की इन घटनाओं में कुल चार लोगों की मौत की सूचना है। स्थानीय प्रशासन ने तुरंत अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की। कर्फ्यू लगाने और इंटरनेट सेवाएं प्रतिबंधित करने जैसे कदम उठाए गए।

गृह मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि बातचीत के माध्यम से पहले ही कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। लद्दाख अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 84 प्रतिशत किया गया है। परिषदों में एक तिहाई महिलाओं को आरक्षण प्रदान किया गया है। भोटी और पुर्गी को आधिकारिक भाषा घोषित किया गया है।

सरकार ने लद्दाख में 1800 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू की है। मंत्रालय का दावा है कि ये सभी कदम लद्दाख के लोगों के हित में उठाए गए हैं। सरकार का कहना है कि वह शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से सभी मुद्दों को हल करने को प्राथमिकता दे रही है। स्थानीय नेताओं के साथ संवाद जारी रखने पर जोर दिया जा रहा है।

लेह में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए प्रशासनिक प्रयास जारी हैं। अधिकारी स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। सुरक्षा बलों को और हिंसा की आशंका वाले क्षेत्रों में तैनात किया गया है। स्थानीय नागरिकों से शांति बनाए रखने का आग्रह किया गया है।

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